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हायर एजुकेशन में छात्रों की फीस में होगा बदलाव, लिया जाएगा विकास शुल्क

देहरादून: प्रदेश में उच्च शिक्षा में छात्र-छात्राओं की फीस संशोधित होगी। सरकार ने इसके लिए योजना तैयार कर ली है। फीस में छोटी-छोटी मदों को खत्म कर इसकी जगह छात्रों से विकास शुल्क लिया जाएगा। इस शुल्क से महाविद्यालयों में मरम्मत सहित अन्य कार्य किए जाएंगे। यह कहना है उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा.धन सिंह रावत का। यह बात उन्होंने दून विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति एवं उच्च शिक्षा में गुणवत्ता उन्नयन पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि सरकार की ओर फीस में संशोधन के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की जाएगी। यह समिति 15 दिनों के भीतर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर फीस संशोधित होगी। उन्होंने बताया कि वर्तमान में छात्र-छात्राओं से 37 मदों में महाविद्यालय और विश्वविद्यालय फीस लें रहे हैं। विश्वविद्यालय प्रयोगात्मक परीक्षाओं, रिजल्ट, बिजली शुल्क आदि की मद में भी फीस लेते हैं, लेकिन अब यह देखा जाएगा कि जिस मद में छात्र-छात्राओं से फीस ली जा रही है, वह सुविधा विश्वविद्यालयों में है भी या नहीं।  यदि सुविधा नहीं है तो उस फीस को खत्म किया जाएगा। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री ने बताया कि समिति गठित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। वहीं, दूसरी ओर प्रमुख सचिव शिक्षा आनंद बर्द्धन ने निर्देश दिए कि महाविद्यालय और विश्वविद्यालय के पास यदि कोई सफलता की कहानी है तो उसे आस पास के महाविद्यालयों में भी साझा करें। उच्च शिक्षा में 104 सरकारी महाविद्यालय, 17 सहायता प्राप्त महाविद्यालय एवं 11 विश्वविद्यालय हैं। फीस संशोधित होने से एक लाख से अधिक छात्रों की फीस में बदलाव होगा। फीस के रूप में कुछ मदों को समाप्त कर कुछ नई मदों को जोड़ा जा सकता है। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डा.धन सिंह रावत ने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत बनने वाले राज्य उच्च शिक्षा आयोग में मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री उपाध्यक्ष होंगे।

21 सदस्यीय आयोग में 50 फीसदी शिक्षाविद् एवं इतने ही अन्य शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले लोग होंगे। वही यूजीसी को खत्म किया जाएगा। दून विश्वविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को लेकर काफी विचार विमर्श हो चुका, कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डा.रमेश पोखरियाल निशंक के साथ भी दो बार बैठक हो चुकी है। उन्हें उम्मीद है कि दिसंबर 2019 तक नई शिक्षा नीति आ जाएगी। इसमें यह तय किया जा रहा है कि समस्त राज्यों में बनने वाले राज्य शिक्षा आयोग में उन राज्यों के मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। केंद्र में 51 लोग इस आयोग में शामिल होंगे। हर तीन महीने में आयोग की बैठकें होंगी। प्रदेश में छात्र-छात्राओं से वर्षों से कुछ ऐसी मदों में भी फीस ली जा रही है, महाविद्यालयों में छात्रों को जिसकी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। हम इन मदों को समाप्त करने जा रहे हैं।

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