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विधानसभा चुनाव 2019: इन कारणों की वजह से नीतीश ले रहे हैं झारखंड में दिलचस्पी, अकेले मैदान में उतरेगी पार्टी

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को रांची में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुआ कि उनकी पार्टी झारखंड में अकेले चुनावों में उतरेगी। जहां सहयोगी भाजपा सत्ता में है। इस दौरान नीतीश ने भाजपा को निशाने पर लिया और कहा कि झारखंड ने उस तरह से प्रगति नहीं की है जैसी अपेक्षा की गई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा बिहार के लोगों से कहती है कि शराब के लिए झारखंड आओ।
झारखंड के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नीतीश पूरी तैयारी कर रहे हैं। चलिए आपको वो चार कारणों बताते हैं, जिनकी वजह से नीतीश झारखंड में इतनी दिलचस्पी ले रहे हैं।
पहला कारण- जदयू झारखंड में अपनी खोई साख को एक बार फिर पाना चाहती है। 2005 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में जदयू को चार फीसदी वोटों के साथ छह विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी। सीटों की संख्या 2009 में कम होकर दो हो गई और वोटों का आंकड़ा 2.8 फीसदी पर आ गया। इसके बाद 2014 में हुए चुनावों में वोटों का आंकड़ा महज एक फीसदी रह गया और पार्टी ने एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं की।दूसरा कारण- झारखंड अविभाजित बिहार का ही हिस्सा रह चुका है और जदयू का मानना है कि ब्रांड नीतीश की राज्य में काफी महत्ता है। पार्टी के उपाध्यक्ष प्रसांत किशोर ने पार्टी कैडर से दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को भविष्य के चुनावों के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
तीसरा कारण- अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी को देखते हुए जदयू को विश्वास है कि नीतीश कुमार की ओबीसी साख से इन समुदायों से काफी समर्थन मिल सकता है। ओबीसी भाजपा के पारंपरिक समर्थक रहे हैं। और जदयू अब अपनी पैठ जमाने का एक मौका देख रहा है।
चौथा कारण- माना जा रहा है कि जदयू चाहेगा कि भाजपा झारखंड में भी उसके लिए कुछ सीटें छोड़ दे। लेकिन भाजपा ने विधानसभा चुनाव में 81 में से 65 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। तो इसके लिए जितना हो सके पार्टी को उतनी सीटों पर चुनाव लड़ना होगा। पूर्व मंत्री सुदेश महतो के नेतृत्व वाले स्थानीय संगठन ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन के साथ भाजपा का पहले से ही गठबंधन है। इससे नीतीश कुमार के लिए झारखंड के लिए एनडीए में जगह कम हो गई है। वहीं राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने भी कुछ सीटों की मांग की है।

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