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‘बेरोजगारी की समस्या’के विरोध में युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पकौड़े के स्टॉल लगाए और जूते पॉलिश किए

लखनऊ /नई दिल्ली: ‘देश में बेरोजगारी की समस्या’ लेकर मंगलवार (3 जुलाई) को युवा कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया और संगठन के कार्यकर्ताओं ने सड़क किनारे सांकेतिक तौर पर पकौड़े का स्टॉल लगाया और जूते पॉलिश किए. दिल्ली प्रदेश युवा कांग्रेस की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशव चंद यादव और उपाध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. ने किया. युवा कांग्रेस ने ‘भारत बचाओ आंदोलन’ के तहत यह विरोध प्रदर्शन किया. संगठन के एक पदाधिकारी ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान रायसीना रोड स्थित युवा कांग्रेस के कार्यालय के बाहर कार्यकर्ताओं ने पकौड़े के स्टॉल लगाए और जूते पॉलिश किए.

इस मौके पर युवा कांग्रेस के अध्यक्ष यादव ने कहा, ‘‘देश का युवा बेरोजगारी की बढ़ती समस्या की वजह से परेशान है. मोदी सरकार युवाओं को रोजगार मुहैया कराने में नाकाम रही है. युवा हमारे साथ सड़कों पर उतरकर आक्रोश का प्रदर्शन कर रहा है. ’’ विरोध प्रदर्शन के दौरान युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी भी की.आपको बता दें कि कुछ महीने पहले देश में ‘पकौड़ा’ पॉलिटिक्‍स की हर तरफ चर्चा हो रही थी. सत्‍ता पक्ष और विपक्ष इस पर नोकझोंक कर रहे थे. कोई इसको रोजगार से जोड़कर देख रहा था. तो कोई इसके माध्‍यम से सत्‍ता पक्ष पर तंज कस रहा था. कई राजनेता तो ऐसे थे जो सत्‍ता पक्ष का विरोध करने के लिए सड़कों पर पकौड़े तलते देखे गए थे. इस तरह पकौड़े को भी आखिरकार चाय पर चर्चा के बाद तवज्‍जो मिली थी. पकौड़ा शब्‍द संस्‍कृत के ‘पक्‍वावट’ शब्‍द से आया है. यानी कि संस्‍कृत भाषा में इसको पकवान के आस-पास रखा गया है. इसकी महत्‍ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शादी-ब्‍याह के मौके पर वर-वधू पक्ष जब मिलते हैं तो चाय के साथ इसको खासतौर पर परोसा जाता है. इसलिए इसको हल्‍के में लेना किसी गुस्‍ताखी से कम नहीं है. महाराष्‍ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इसको पकौड़े के बजाय ‘बज्‍जी’ के रूप में जाना जाता है. बंगाल में इसको ‘पाकुड़ा’ कहते हैं.

समोसा’ पर सियासी गर्माहट 
यदि भारत में पकौड़ा इस वक्‍त सियासत का हॉट टॉपिक है तो इसी तर्ज पर पड़ोसी पाकिस्‍तान में समोसा भी चर्चा में रहा है. वर्ष 2009 में सिटी डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट लाहौर ने एक समोसा की कीमत छह रुपये तय की थी और इससे अधिक कीमत पर समोसा बेचने वाले दुकानदारों पर मजिस्ट्रेट जुर्माना कर रहे थे. पंजाब बेकर्स एंड स्वीट्स फेडरेशन ने इस फैसले को चुनौती दी लेकिन लाहौर हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

इसके बाद याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट लाहौर रजिस्ट्री में अपील की और तर्क दिया कि समोसा को पंजाब खाद्य पदार्थ (नियंत्रण) अधिनियम 1958 के तहत अधिसूचित नहीं किया गया है इसलिए इसकी कीमत को प्रांतीय सरकार तय नहीं कर सकती. पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि सरकार के पास अधिकार है कि वह उन पदार्थों की कीमत तय करे जिसे लोगों को बेचा जा रहा है. आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि समोसे की कीमत 6 रुपये से ज्यादा हो सकती है

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