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Navratri 2019 : नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा से मिलता है मनोवांछित फल

Navratri 2019 : चैत्र नवरात्र के पर्व का शुभारंभ हो चुका है। नवरात्र के हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग 9 रूपों की पूजा की जाती है।  अलग-अलग दिनों में उनके पूजन का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में अगर भक्तपूरी श्रद्धा और आस्था से मां की उपासना करते हैं, तो उन्हें मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए आज हम आपको नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा का महत्व और उससे मिलने वाले फल के बारे में बता रहे हैं। जिससे आप भी मां शक्ति की उपासना करके उनका आशीर्वाद पा सकें। चतुर्थ: कूष्मांडा: नवरात्र के चौथे दिन शेर पर सवार मां के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। अपनी मंद हल्की हंसी द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने अपने ‘ईषत’स्मित से ब्रह्मांड की रचना की थी, अतः यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदि शक्ति हैं। इन्हीं के तेज और प्रकाश से दसों दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। अष्ट भुजाओं वाली देवी के सात हाथों में क्रमशः कमंडल,धनुष, बाण, कमलपुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र और गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। नवरात्र के चौथे दिन साधक अपने मन को मां के चरणों में लगाकर अदाहत चक्र में स्थित करते हैं।
पूजा फल: देवी कूष्मांडा अपने भक्तों को रोग, शोक और विनाश से मुक्त करके आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करती हैं। यदि प्रयासों के बावजूद भी मनोनुकूल परिणाम ना मिलता हो तो कूष्मांडा स्वरूप की पूजा से मनोवांछित फल प्राप्त होने लगते हैं।

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