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Devshayani Ekadashi : जाने देवशयनी एकादशी पर क्यों सोते है भगवान विष्णु और क्या है पौराणिक कथा?

Devshayani Ekadashi देवशयनी एकादशी 2019 में 12 जुलाई 2019 के दिन मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी की पौराणिक कथा प्रचिलित है, जिसके अनुसार देवशयनी एकादशी से सभी शुभ और मागंलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। शास्त्रों में इसका कारण भगवान विष्णु के पाताल लोक में निद्रा अवस्था में जाने को माना गया है। देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु सो जाते हैं और देवउठनी एकादशी पर एक बार फिर से जाग्रत अवस्था में आ जाते हैं। देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक चार मास का समय होता है। जिसे चर्तुमास के नाम से भी जाना जाता है। इस चर्तुमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता । अगर इस समय में कोई शुभ कार्य अगर किया भी जाता है तो उसका शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होता। लेकिन क्या आप जानते हैं देवशयनी एकादशी पर क्यों सोते है भगवान विष्णु नहीं तो आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी पर क्यों सोते है भगवान विष्णु और क्या है देवशयनी एकादशी की पौराणिक कथा ?

देवशयनी एकादशी पौराणिक कथा 
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु एक बार राजा बलि तीनों लोकों पर अपने पराक्रम की वजह से कब्जा कर लेते हैं। राजा बलि के तीनों लोकों पर आधिपत्य की वजह से देवताओं को भी स्वर्ग लोक छोड़ना पड़ता है। देवता अपनी इस समस्या के सामधान के लिए ब्रह्मा जी के पास जाते हैं । लेकिन ब्रह्मा जी के पास भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं था । जिसके बाद ब्रह्मा जी सभी देवताओं के साथ भगवान विष्णु के पास जाते हैं। भगवान विष्णु देवताओं की समस्या को सुनते हैं। राजा बलि बहुत ही दयालु और दान पुण्य में विश्वास रखते थे। राजा बलि प्रत्येक दिन पूजा के बाद दान अवश्य दिया करते थे। भगवान विष्णु ने राजा बलि के पास अपने वामन अवतार में पहुंचे और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी । राजा बलि ने भगवान वामन को तीन पग धरती देने का वचन दे दिया। जिसके बाद वामन अवतार लिए भगवान विष्णु ने अपना आकार बड़ा कर लिया ।

उन्होंने पहले पग में धरती दुसरे पग में आकाश को नाप लिया । इसके बाद जब तीसरा पग रखने के लिए कहीं पर भी जगह नहीं थी । राज बलि भी अपने दिए हुए वचन से पीछे हटने वालों में से नहीं थे। जब तीसरा पग रखने की बारी आई तो राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया । भगवान विष्णु ने राज बलि के सिर पर तीसरा पग रख दिया । राजा बलि की इस निष्ठा को देखकर भगवान विष्णु अत्यंत प्रसन्न हुए और राजा बलि को पाताल लोक में निवास करने के लिए कहा। साथ ही राजा बलि को वरदान मांगने के लिए भी कहा। राजा बलि ने वरदान के रूप में भगवान विष्णु को पाताल लोक चलने के लिए कहा। भगवान अपने भक्त की कैसे अनदेखा करते । इसलिए वह राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए। जब भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए तब देवताओं में खलबली मच गई और वह माता लक्ष्मी के पास गए। माता लक्ष्मी अपना पति धर्म निभाने के लिए राजा बलि के पास एक निर्धन स्त्री का रूप धारण करके गई और राजा बलि को राखी बांध दी ।

जब राजा बलि ने उन्हें वर मांगने के लिए कहा तो उन्होंने वरदान के रूप में भगवान विष्णु को ही मांग लिया । जब माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को राजा बलि से मांग लिया । तब भगवान विष्णु के लिए दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई । भगवान विष्णु माता लक्ष्मी का साथ बैकुंठ जाए या फिर अपने भक्त को दिए हुए वरदान को तोड़े । इसके लिए भगवान विष्णु ने राजा बलि को एक और वरदान दिया । भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान देते हुए कहा कि – हे राजा बलि! जब आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी आएगी । उस समय से लेकर कार्तिक मास की एकादशी तक में पाताल लोक में ही निवास करूंगा। इसी कारण प्रत्येक साल देवशयनी एकादशी पर भगवान विष्णु पाताल लोक में ही निद्रा अवस्था में निवास करते हैं।

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