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Amla Navami 2018: संतान प्राप्ति और उनकी मंगल कामना के लिए खास है आंवला नवमी, जाने कथा और पूजा विधि

हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी  (Amla Navami) मनाई जाती है। इस दिन आंवला नवमी की कथा पढ़ने और सुनने का विधान है। इसे नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आंवला नवमी 2018 (Amla Navami 2018) में साल 17 नवंबर, शनिवार को मनाई जाएगी। आंवला नवमी का महत्व बहुत अधिक है। स्त्रियां संतान की प्राप्ति और उनकी मंगल कामना के लिए यह व्रत पूरे विधि-विधान के साथ करती हैं। इस आंवला नवमी 2018 की स्पेशल स्टोरी में जानिए आंवला नवमी की कथा और पूजा विधि-
आंवला नवमी की कथा (Amla Navami Katha)
प्राचीन समय की बात है काशी नगर में एक धर्मात्मा रहता था। जाति से वो वैश्य रहता था। उसकी कोई संतान ना थी। एक दिन वैश्य की पत्नी से पड़ोसन बोली यदि तुम लड़के की बलि भैरव के नाम से चढ़ा दो तो अवश्य ही तुम्हें पुत्र प्राप्ति होगी। जब यह बात वैश्य को पता चली तो उसने ऐसा करने से मना कर दिया। लेकिन उसकी पत्नी ऐसा कदम उठाना चाहती थी इसलिए मौके की तलाश में लगी रही। एक बार मौका मिलने पर उसने एक कन्या को कुएं में गिराकर भगवान भैरो के नाम की बलि दे दी। इस बलि का परिणाम विपरीत हुआ। पुत्र प्राप्ति की जगह उस स्त्री के पूरे शरीर में कोढ़ हो गया और लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी। ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर वैश्य की पत्नी ने अपने पति को अपने कर्म के बारे में सब बताया। वैश्य को अपनी पत्नी पर क्रोध आया और बोला गौवध, ब्राह्यण वध और बाल वध करने वाले के लिए संसार में कहीं जगह नहीं है।
पत्नी को आदेश दिया कि गंगा तट पर जाकर भगवान का भजन कर और गंगा में स्नान कर। तभी इस कष्ट से छुटकारा पाया जा सकता है। वैश्य की पत्नी रोग मुक्त होने के लिए मां गंगा की शरण में गई। तब देवी गंगा ने उसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला के वृक्ष की पूजा कर आंवले का सेवन करने की सलाह दी। वैश्य की पत्नी ने गंगा माता के बताए अनुसार इस तिथि को आंवला वृक्ष का पूजन कर आंवला ग्रहण किया और वह रोगमुक्त हो गई। इस व्रत और पूजा के फल के रूप में उसे कुछ दिनों बाद संतान की प्राप्ति हुई। तभी से हिंदू धर्म में इस व्रत का प्रचलन हो गया। उस समय से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है। और इस दिन आंवला खाने को शुभ माना जाने लगा।
आंवला नवमी पूजा विधि (Amla Navami Puja Vidhi)
व्रती स्त्रियां आंवला नवमी के दिन स्नानादि कर, आंवला के पेड़ के समीप जाएं। पेड़ के  आसपास साफ-सफाई करके आंवला वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं। वृक्ष की जड़ में कच्चा दूध डालें। पूजन सामग्री से आंवला के पेड़ की पूजा करें। पेड़ के तने पर कच्चा सूत या मौली 8 परिक्रमा करते हुए लपे दें। संभव हो तो वृक्ष की 108 परिक्रमा भी लगाएं। पूजा के अंत में परिवार और संतान के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए वृक्ष के नीचे ही बैठकर भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं। उसी स्थान पर परिवार और मित्रों सहित भोजन करें।

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