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लिंगायतों का एक धड़ा कांग्रेस के पक्ष में : ‘हमें BJP की जरूरत नहीं’ 

अनुपूरक न्यूज़ एजेंसी, बेंगलुरु : वीरशैव-लिंगायत समुदाय के एक वर्ग ने 10 मई को होने वाले कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपना समर्थन दिया है और 2008 से पार्टी के साथ मजबूती से खड़े रहने वाले समूह के प्रति सम्मान की कमी का हवाला देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्थन नहीं देने का फैसला किया है.

कर्नाटक लिंगायत मट्टू वीरशैव विचार वेदिके नामक एक मंच, जिसमें समुदाय के विचारक शामिल हैं, ने आगामी चुनावों में भाजपा को हराने का आह्वान किया है, क्योंकि लिंगायत बाहुबली और चार बार सीएम रहे बी.एस. येदियुरप्पा के कथित “दुर्व्यवहार” पर नाराज़गी जोरों पर है.

80-वर्षीय येदियुरप्पा वर्तमान में भाजपा की संसदीय बोर्ड समिति के सदस्य के रूप में कार्यरत हैं. उन्होंने 2008 में पहली बार कर्नाटक में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाया था और आखिरी बार 2019 में कुमारस्वामी सरकार के बहुमत खोने के बाद मुख्यमंत्री बने थे.

6 मई को लिखे गए एक पत्र में, जिसे रविवार को सोशल मीडिया पर जारी किया गया, उन्होंने कहा, “बीजेपी को लिंगायतों की ज़रूरत नहीं है. लिंगायतों को भाजपा की ज़रूरत नहीं है.”

अखिल भारतीय वीरशैव महासभा की केंद्रीय समिति के निदेशक वी.एस.नटराज ने रविवार को दिप्रिंट को बताया, “निर्णय पूरे समुदाय द्वारा लिया गया है. एक बार जब वे (भाजपा नेता) कह चुके हैं कि उन्हें लिंगायत नेता नहीं चाहिए, तो हम उनके साथ क्यों रहें ?”

उन्होंने कहा, “पार्टी (कर्नाटक में भाजपा) येदियुरप्पा, बी.बी. शिवप्पा और कई अन्य नेताओं द्वारा बनाई गई थी. उन दिनों केंद्र या राज्य में कहीं भी भाजपा की सरकार नहीं थी, न ही उस समय हमें फंड देने वाला कोई था, लेकिन हम पार्टी के साथ खड़े रहे, उसे सत्ता में लाए और उन्हें 2019 (लोकसभा चुनाव) में 28 में से 25 सीटें दीं.”

नटराज के अनुसार, यह लिंगायत ही थे जिन्होंने भाजपा को न केवल उन इलाकों में सत्ता में लाया था जहां वे प्रभावी समुदाय थे बल्कि कर्नाटक के अन्य हिस्सों में पार्टी के पक्ष में लोकप्रिय बनाने में भी मदद की थी.

सोमवार को हुबली में मीडिया से बात करते हुए, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा. “लिंगायत फोरम एक काल्पनिक संगठन है. यह मौजूद ही नहीं है.”

उन्होंने कहा, “वीरशैव एक बहुत बड़ा समुदाय है और यह किसी संगठन के अधीन नहीं है. वीरशैव महासभा को बहुत सम्मान दिया जाता है, लेकिन चुनाव के लिए किसी संगठन का इस्तेमाल करना सही नहीं है. अगर चार-पांच लोग कुछ कहते हैं तो क्या वह लिंगायतों की आवाज़ बन जाती है? लिंगायत समुदाय समुद्र की तरह है. लिंगायत फोरम एक ऐसा संगठन है जो चुनाव के दौरान उभरा है.” लिंगायत को राज्य की आबादी का 17 प्रतिशत माना जाता है ! कर्नाटक में नौ साल के शासन में भाजपा के पास तीन लिंगायत मुख्यमंत्री रहे हैं.” नटराज ने कहा, “भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने येदियुरप्पा के खिलाफ खुले तौर पर बोलने से अरविंद बेलाड और बसनगौड़ा पाटिल यतनाल जैसे नेताओं को रोकने के लिए कुछ नहीं किया. 

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