पटना : बिहार के मोकामा से निर्दलीय बाहुबली विधायक अनंत सिंह एक बार फिर पुलिस को चकमा देने में क़ामयाब हो गए. कल देर रात से आज सुबह तक जब पटना पुलिस उनकी गिरफ़्तारी करने पटना के उनके आवास पर पहुंची तो अनंत सिंह नदारद थे. इससे साफ़ है कि उन्हें गिरफ़्तारी की आशंका थी. पुलिस बल में उनसे सहानुभूति रखने वालों ने उन्हें पहले ही टिप दे दी थी, जिसके कारण पुलिस के पहुंचने से पहले ही वह अपने घर से भाग गए. पटना पुलिस का कहना है कि उनके पैत्रिक गांव लदमा से हथियार, गोली और हैंड ग्रेनेड बरामद होने के बाद दर्ज हुए मामले के संबंध में देर रात उनसे पूछताछ और गिरफ़्तार करने आयी थी, लेकिन 24 घंटे पहले तक अपने गांव में छापेमारी के दौरान अपने घर में बैठकर न्यूज़ चैनलों को इंटरव्यू दे रहे अनंत सिंह को जैसे ही गिरफ़्तारी के वारंट की भनक लगी तो वे पुलिसवालों को चकमा देने में एक बार फिर क़ामयाब रहे. हालांकि अभी इस बात का पता नहीं चला है कि सरकार द्वारा जो 3 सुरक्षाकर्मी उन्हें दिये गए हैं क्या वे भी उनके साथ फ़रार चल रहे हैं. बिहार में अमूमन यही होता है जब कोई विधायक फ़रार होता है तो उसके साथ बॉडीगार्ड भी क़ानून को ठेंगा दिखाकर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं.
हालांकि पटना पुलिस की छापेमारी से दो बातें साफ़ हैं. पहली, पुलिस भी इस मामले को काफ़ी गंभीरता से ले रही है. दूसरी बात, तमाम गंभीरता और इस मामले में सिक्रेसी बरतने के बावजूद पुलिस में अनंत सिंह के सूत्र अभी भी काफ़ी मददगार साबित हो रहे हैं. अनंत सिंह की अगर इस बार गिरफ़्तारी होती है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में यह तीसरी बार होगा जब उन्हें जेल की हवा खानी होगी. इससे पूर्व 2008 में एक पत्रकार की पिटाई करने के आरोप में वे जेल गए थे लेकिन उन्हें कुछ ही दिनों में बेल मिल गई थी. इसके बाद 2015 में राजद समर्थकों को पीटने के आरोप में भी उन्हें जेल जाना पड़ा था. तब उनकी रिहाई कुछ महीनों बाद हुई थी. लेकिन इस उनकी अदावत जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ सांसद ललन सिंह से है. ऐसे में इस बार जेल जाने के बाद निकलना उनके लिए आसान नहीं होगा. हालांकि अनंत सिंह का बार बार कहना है कि उन्हें ललन सिंह के इशारे पर पुलिस फंसा रही है, लेकिन यह भी सच है कि अनंत सिंह पर जब तक सत्ता का संरक्षण रहा तब तक उन्होंने जमकर मनमानी की और सरकार जब उनके ख़िलाफ़ गई है तब-तब उन्हें आटे और दाल का भाव पता चल रहा है.