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क्या सोते समय आपको भी लगते हैं झटके? जानिए इसका कारण और बचाव

खर्राटें, नींद में बड़बड़ाने या किसी अन्य बीमारी के कारण नींद पूरी ना होना आम बात है। मगर कई बार ऐसा लगता है जैसे हम सोते-सोते ही गिर गए हो या झटका लगा हो, जिसके कारण नींद भी खराब हो जाती है। क्या आपने भी कभी नींद में झटके महसूस किए है? क्या आपको लगा है कि आप सोते-सोते बेड से गिर गए हों? या गहरी नींद में होते हुए आप अचानक उछल पड़ते हैं। अगर ऐसा है तो आप हाइपनिक जर्क या स्लीप स्टार्टर के शिकार हैं।
क्या है हाइपनिक जर्क?
हाइपनिक जर्क या स्लीप स्टार्टर कोई रोग नहीं है और ना ही कोई नर्वस सिस्टम डिसऑर्डर है। दरअसल, ये सोने और जागने के बीच की अवस्था होती है। झटके उस समय ज्यादा महसूस होते हैं जब व्यक्ति हल्की नींद में हो। यह एक दिमागी रिएक्शन है, जिसमें दिमाग की नसों में संकुचन होता है। नींद में आप जो भी देखते है वो आपको सच लगता है और आप संभल भी नहीं पाते। इसी वजह से आप गिर जाते हैं या जोर-जोर से चिल्लाने लगते हैं।
भारत में 70% लोग है इसके शिकार
रिसर्च के मुताबिक, सोते समय झटके महसूस होना सामान्य बात है। भारत में करीब 60 से 70ः लोग ऐसा अनुभव करते हैं। वैज्ञानिक और डॉक्टर्स इसे स्वाभाविक प्रक्रिया ही मानते हैं। कुछ लोगों का कहना है कि उनके शरीर में तब झटके आते हैं, जब वे सपने में गिर रहे होते हैं या किसी उलझन में होते हैं।हाइपनिक जर्क के कारण
वैज्ञानिकों का कहना है कि तनाव, चिंता, थकान या कैफीन लेना या फिर नींद की कमी जैसी वजहें इसका मुख्य कारण है। इसके कारण दिमाग को आराम नहीं मिल पाता, जिस वजह से नींद में झटके महसूस होते हैं। यह डिसऑर्डर जनेटिक भी हो सकता है लेकिन ज्यादातर ये प्रॉब्लम दिमाग को रेस्ट न मिलने के कारण होती है। शराब-धूम्रपान का सेवन, आयरन की कमी और मांसपेशियों की ऐंठन के कारण भी नींद में झटके महसूस हो सकते है। कई बार यह समस्या उतेजित करने वाली दवाओं की वजह से भी हो जाती है।
ज्यादा एक्सरसाइज भी है कारण
शाम के समय की गई ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी या एक्सरसाइज हाइपनिक जर्क का कारण बन सकते हैं। दरअसल, ज्यादा एक्सरसाइज करने से दिमाग का आधा हिस्सा एक्टिव रहता है, जिसके कारण झटके महसूस होते हैं। इसके अलावा अनकम्फर्टेबल पोजीशन या कच्ची नींद में सोने से भी आप नींद में ऐसी घटनाएं महसूस करते हैं।
बचने के उपाय
अच्छी नींद लें
अच्छी नींद लेने के लिए सबसे जरूरी है समय पर सोना और जागना। साथ ही सोने से गुनगुने पानी से नहाएं। इससे शरीर और दिमाग दोनों रिलैक्स हो जाएगा, जिससे नींद अच्छी आएगी। इसके अलावा रोजाना कम से कम 8 घंटे की नींद लेने की भी कोशिश करें।
सही पोजीशन में सोना
सोल्जर पोजीशन यानि पीठ के बल हाथों को सीधा करते हुए सोना सबसे अच्छी मुद्रा मानी जाती है। शवासन में इस्तेमाल होने वाली इस पोजीशन में सोने से रीढ़ की हड्डी सीधी रहती है और पेट में एसिड भी नहीं बनता। साथ ही इससे नींद भी अच्छी आती है।
कैफीन लेने से बचें
रात को सोने से पहले कॉफी, चाय, कैफीन या सोडा न पीएं। साथ ही शाम को भरपूर पानी पीए लेने सोने से पहले लिक्विड चीजों को अवॉइड करें। इसके अलावा रात को सोने से पहले कोई हॉरर मूवी या तनावपूर्ण काम न करें और न ही दिमाग पर जोर पड़ने वाला कोई काम करें।
मीठी चीजों का कम करें सेवन
ज्यादा मीठी चीजों का सेवन करने से नींद में खलल पड़ सकता है। ऐसे में बेहतर होगा कि आप मीठे और नमकीन पदार्थ कम खाएं। इसकी बजाए आप रात को सोने से पहले फ्रूट्स, गुड़ या वेजिटेबल सलाद खा सकते हैं।
आयरन से भरपूर डाइट
इस डिसऑर्डर से बचने के लिए अपनी डाइट में आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम से भरपूर चीजों को शामिल करें। आयरन की कमी को पूरा करने के लिए रोज दूध, दही, केले और नट्स खाएं।
एक्सरसाइज करने से बचें
रात को सोने से पहले एक्सरसाइज करने से आपके दिमाग पर स्ट्रेस पड़ता है और इससे रात को आप ठीक से सो नहीं पाते। ऐसे अपना समय बदलें और सोने से 6 घंटे पहले ही एक्सरसाइज कर लें।
ना करें मोबाइल का इस्तेमाल
सोने से पहले दिमाग के अलावा अन्य गैजेट्स भी स्विच ऑफ या साइलेंट मोड में कर दें। लाइट्स डिम करें या नाइट बल्ब जलाएं। स्मार्टफोन व लैपटॉप स्लीपिंग मोड पर रखें ताकि नींद में खलल न पड़े।

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