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कोरोना काल में ‘GOLD की चांदी’, इस बार तीन गुना ज्यादा निवेश

शेयर बाजार या वैश्विक मार्केट पर जब कभी भी अनिश्चितता के बादल मंडराते हैं तो निवेशक GOLD पर भरोसा करते हैं। साल 2020 के शुरूआती महीनों में कोविड-19 की दस्तक और फिर लाॅकडाउन के बाद भी यही हुआ।

रोजगार और अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच सोने में लोगों ने सोने में जमकर निवेश किया। इसी के परिणाम स्वरूप पिछले पांच महीने में सोने में और खासकर ई-गोल्ड में निवेश तीन गुना बढ़ गया है। रिजर्व बैंक और एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड इंडिया के ताजा आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है।

आरबीआई के छह सीरीज में साॅवरेन गोल्ड बांड में निवेशकों ने 10130 करोड़ रुपए का निवेश किया है। वित्त वर्ष 2020-21 के शुरूआती पांच महीनों में गोल्ड ईटीएफ में 3900 करोड़ का निवेश हुआ है।

कुल मिलाकर इस अवधि में ई-गोल्ड में 14 हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए निवेश से यह तीन गुना ज्यादा है। पिछले वर्ष अपै्रल से अगस्त के बीच गोल्ड ईटीएफ में मात्र 75 करोड़ और साॅवरेन गोल्ड बाॅन्ड में 5741 करोड़ रुपए का निवेश हुआ था।

वैश्विक महामारी के इस दौर में सोने के प्रति निवेशकों का यह रुझान कोई आश्चर्य की बात नहीं। अर्थव्यवस्था में सुस्ती या वैश्विक उथल-पुथल की स्थिति में सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है।

इतिहास गवाह है कि जब भी शेयर बाजार में नुकसान की आशंका, आर्थिक महाशक्तियों के बीच टकराव या डाॅलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं के कमजोर पड़ने की नौबत आने पर सोने का भाव उछल जाता है। संकट के समय निवेशक गोल्ड पर पैसा लगाते हैं और जरूरत के समय इसे बेंचकर नकदी हासिल कर लेते हैं। 3 से 5 साल कि अवधि के लिए सोने में निवेश अप्रत्याशित लाभ दे सकता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि 2020 की शुरूआत में अमेरिका-ईरान के बीच तनाव, फरवरी-मार्च आते-आते कोरोना संक्रमण का प्रसार और अब भारत-चीन-पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव से बाजार पर से अनिश्चितता के बादल अभी छंटे नहीं हैं। कोविड प्रसार पर अभी अभी प्रभावी काबू नहीं पाया जा सका है। पिछले एक साल के दौरान सोने में दामों में 31 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। हाल ही में सोने और चांदी के दामों ने रिकार्ड स्तर को भी छुआ है।

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