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बसपा और सपा का तालमेल, एक दुसरे के दल बद्लुओं को नहीं करेंगे शामिल

लखनऊ: आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी को रोकने के लिए यूपी में सपा और बसपा के बीच महागठबंधन की संभावना बनती दिख रही है. इसकी बानगी पिछले गोरखपुर, फूलपुर और कैराना लोकसभा एवं नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में देखने को‍ मिली. हालांकि अभी भी इस तरह के महागठबंधन की कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन दोनों ही दल लगातार इस बात के संकेत दे रहे हैं और फूंक-फूंक कर कदम रख इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. इसी कड़ी में सपा और बसपा ने तालमेल के तहत एक-दूसरे के दलबदलुओं को अपनी पार्टी में शामिल नहीं करने का फैसला किया है. इसके जरिये इन दलों का मकसद परस्‍पर आपसी विश्‍वास पैदा करना है.

एक खबर के अनुसार सीट-शेयरिंग फॉर्मूला निकालने की जुगत में लगे इन दलों ने फैसला किया है कि सपा, अपनी पार्टी में दल बदलने वाले किसी बसपा नेता को शामिल नहीं करेगी और इसी तरह बसपा ने भी सपा के किसी नेता को शामिल नहीं करने का फैसला किया है. हालांकि इस तरह की कोई लिखित सहमति नहीं बनी है लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस बात पर दोनों पक्षों की तरफ से अनौपचारिक सहमति जरूर बन गई है.

इस कड़ी में सपा के प्रवक्‍ता राजेंद्र चौधरी ने द इंडियन एक्‍सप्रेस को बताया कि पिछले दो महीने से बसपा के किसी भी दलबदलू नेता ने सपा का दामन नहीं थामा है. उन्‍होंने कहा, ”जब से सपा और बसपा ने लोकसभा चुनावों में बीजेपी को रोकने के लिए गठबंधन बनाने का सैद्धांतिक रूप से फैसला किया है, तब से दोनों दलों के नेताओं के परस्‍पर पाला बदलने पर रोक लग गई है.” सिर्फ इतना ही नहीं उन्‍होंने यह भी कहा कि इस तालमेल के कारण दोनों दलों के दलबदलू नेता किसी तीसरे दल में जाने से भी कतरा रहे हैं.

बसपा के भी एक नेता ने राजेंद्र चौधरी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि तकरीबन दो महीने आगरा में सपा के एक पूर्व प्रत्‍याशी ने बसपा को ज्‍वाइन किया था. उसके बाद से इस तरह की कोई घटना नहीं हुई. इन दलों के नेताओं के मुताबिक दरअसल किसी पार्टी को मजबूत करने के बजाय पूरा दारोमदार गठबंधन को बनाने को लेकर है. इसलिए दूसरे दल का मजबूत प्रत्‍याशी होने के बावजूद उसे अपनी पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा.

उल्‍लेखनीय है कि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से पिछली बार बीजेपी के नेतृत्‍व में एनडीए ने 73 सीटें जीती थीं. इस बार राजनीतिक विश्‍लेषक कयास लगा रहे हैं कि यदि यूपी में सपा और बसपा अन्‍य विपक्षी दलों के साथ महागठबंधन बनाकर बीजेपी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरते हैं तो बीजेपी को पिछली बार जीती गईं तकरीबन आधी सीटों से हाथ धोना पड़ सकता है.

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