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अफसरों की कमी से जूझ रहा केंद्र सरकार का पासपोर्ट महकमा

नई दिल्ली। केंद्रीय पासपोर्ट संगठन अधीक्षकों तथा सहायकों की भारी कमी से जूझ रहा है। पिछले कुछ सालों में जहां पासपोर्ट सेवा केंद्रों और पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्रों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वहीं, पासपोर्ट को वैरिफाई करने और मंजूरी प्रदान करने वाले अधिकारियों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हुआ है।

विदेश मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय पासपोर्ट संगठन यानी सेंट्रल पासपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के ऊपर पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम के प्रबंधन, संचालन एवं निगरानी की जिम्मेदारी है। हाल के वर्षों में भारत की वैश्विक छवि में सुधार होने और अनेक छोटे-छोटे देशों में भी भारतीय मिशन खोले जाने से संगठन का काम कई गुना बढ़ गया है। परिणामस्वरूप संगठन में अफसरों की कमी महसूस की जा रही है। खासकर संगठन में पासपोर्ट वैरिफाइंग एवं ग्रांटिंग अफसरों का टोटा है।

विदेश मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले केंद्रीय पासपोर्ट संगठन यानी सेंट्रल पासपोर्ट ऑर्गनाइजेशन के ऊपर पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम के प्रबंधन, संचालन एवं निगरानी की जिम्मेदारी है।

हाल के वर्षों में भारत की वैश्विक छवि में सुधार होने और अनेक छोटे-छोटे देशों में भी भारतीय मिशन खोले जाने से संगठन का काम कई गुना बढ़ गया है। परिणामस्वरूप संगठन में अफसरों की कमी महसूस की जा रही है। खासकर संगठन में पासपोर्ट वैरिफाइंग एवं ग्रांटिंग अफसरों का टोटा है।

इनमें सहायक अधीक्षक, वरिष्ठ पासपोर्ट सहायक (एसपीए) तथा कनिष्ठ पासपोर्ट सहायक (जेपीए) जैसे अधिकारी शामिल हैं। जिन्हें सामान्यतया वैरिफिकेशन ऑफिसर (वीओ) के नाम से जाना जाता है। आज की तारीख में केंद्रीय पासपोर्ट संगठन में सीपीओ काडर के केवल 1789 अधिकारी कार्यरत हैं। जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 2,741 है। इनके अलावा प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीएमयू) में 15 तकनीकी एवं 6 सहायक कर्मचारी और काम कर रहे हैं।

विदेश मंत्रालय का कहना है कि वो अफसरों की कमी दूर करना चाहता है। लेकिन कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) का रवैया इसमें आड़े आ रहा है। मंत्रालय ने 2017 में आयोग को कार्यालय सहायक, जूनियर पासपोर्ट सहायक, स्टेनोग्राफर, कनिष्ठ अनुवादक के 310 पदों पर नियुक्ति का अनुरोध पत्र भेजा था। किंतु उसने अब तक केवल 118 पदों की संस्तुति प्रदान की है। जबकि 192 पद खाली छोड़ दिए हैं।

इसके अलावा कार्मिक मंत्रालय के मौजूदा नियम कुछ अफसरों की सीधी नियुक्ति की इजाजत नहीं देते। इन पदों को प्रोन्नति के जरिये ही भरा जा सकता है। पासपोर्ट ग्रांटिंग अफसर का पद अधीक्षक और वरिष्ठ अधीक्षक स्तर का होने से उसमें सारी नियुक्तियां प्रोन्नति से ही संभव हैं। एक तरफ अफसरों की नियुक्ति की ये स्थिति है। वहीं, दूसरी ओर पासपोर्ट की मांग बढ़ने से पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम का दिनोदिन विस्तार हो रहा है। प्रोग्राम के तहत अब तक देश में 93 पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीएसके) तथा 426 पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र (पीओपीएसके) खोले जा चुके हैं।

पासपोर्ट संगठन के पास स्टाफ व संसाधनों की कमी के चलते पिछली संप्रग सरकार ने निजी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी की मदद से बड़े शहरों में पीएसके खोलने की शुरुआत की थी। लेकिन जब छोटे शहरों में भी पासपोर्ट की मांग बढ़ी तो मोदी सरकार ने डाक विभाग की मदद से पीओपीएसके खोलने का फैसला लिया। इस मुहिम के परिणामस्वरूप अब देश में 93 पीएसके और 426 पीओपीएसके हो गए हैं।

उत्तर प्रदेश: इस समय उत्तर प्रदेश में 6 पीएसके हैं जो लखनऊ, बरेली, वाराणसी, कानपुर, गोरखपुर और गाजियाबाद में कार्यरत हैं। इसके अलावा 48 पीओपीएसके छोटे शहरों की पासपोर्ट संबंधी जरूरतें पूरी कर रहे हैं।

उत्तराखंड: इसी तरह पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में इस समय 1 पीएसके तथा 6 पीओपीएसके कार्य कर रहे हैं। इनमें 1 पीएसके और 3 पीओपीएसके नैनीताल में हैं। जबकि हरिद्वार, अल्मोड़ा और गढ़वाल में एक-एक पीओपीएसके है।

देश के अलावा पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम का विस्तार अब विदेशों में स्थित भारतीय मिशनों (दूतावास, उच्चायोग, वाणिज्य दूतावास आदि) में भी किया जा रहा है। ताकि दूसरे देशों में रहने वाले भारतवंशियों एवं प्रवासी भारतीयों को भी पासपोर्ट सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें। इस क्रम में अब तक 150 भारतीय मिशनों को पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम से जोड़ा जा चुका है। जबकि कई अन्य मिशनों को जोड़ने की प्रक्रिया जारी है।

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