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टूलकिट मामला: रमन सिंह, संबित पात्रा को झटका, छत्तीसगढ़ सरकार की याचिकाएं खारिज

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कथित रूप से फर्जी टूलकिट मामले संबंधी ट्वीट को लेकर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी के नेता संबित पात्रा के खिलाफ जांच पर रोक लगाने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार की दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि इस मामले पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय को फैसला करने दीजिए।

पीठ ने कहा कि विभिन्न अदालतों में टूलकिट मामले संबंधी कई मामले लंबित हैं, इसलिए मौजूदा मामलों से विशेष रूप से निपटा नहीं जा सकता। राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सांघवी ने मामले के रिकॉर्ड का जिक्र करना चाहा तो पीठ ने कहा कि अपनी ऊर्जा यहां व्यर्थ मत कीजिए। हम विशेष अनुमति याचिकाओं (एसएलपी) पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हम एसएलपी खारिज करते हैं।

न्यायालय ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय से फर्जी टूलकिट मामले संबंधी याचिकाओं पर शीघ्र निर्णय लेने का अनुरोध किया और कहा कि इस मामले पर पहले की टिप्पणियों से प्रभावित हुए बिना फैसला किया जाए। उच्च न्यायालय ने 11 जून को दो अलग-अलग आदेश पारित किए और रमन सिंह एवं पात्रा के खिलाफ दायर प्राथमिकी के संदर्भ में उन्हें अंतरिम राहत दी थी।

अदालत ने कहा था कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोप दर्शाते हैं कि ट्वीट ने कांग्रेस नेताओं को क्रोधित किया। यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि ट्वीट ने सार्वजनिक शांति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डाला और यह दो राजनीतिक दलों के बीच केवल राजनीतिक प्रतिद्वन्दिता का मामला है।

कांगेस की छात्र शाखा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया की छत्तीसगढ़ इकाई के अध्यक्ष आकाश शर्मा की शिकायत पर 19 मई को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस प्राथमिकी में आरोप लगाया गया कि रमन सिंह, पात्रा और अन्य लोगों ने कांग्रेस पार्टी के फर्जी लेटरहेड का इस्तेमाल कर मनगढ़ंत सामग्री सोशल मीडिया मंच पर पोस्ट की और इसे पार्टी द्वारा विकसित टूलकिट के रूप में पेश किया।

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