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उत्तर प्रदेश: प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से रेल टिकट बनाने वाले दो दलालों को आरपीएफ ने किया गिरफ्तार

अशाेक यादव, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से रेल टिकट बनाने का धंधा फल-फूल रहा है। ऐसे ही सॉफ्टवेयर तत्काल प्रो और तत्काल प्लस से टिकट बनाने वाले दो दलाल शनिवार सुबह आरपीएफ क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़े।

चिनहट के आरपीएफ रेल ब्रांच इंस्पेक्टर मटियारी चौराहा स्थित एचपी बॉयज हॉस्टल में छापा मारकर टिकट दलालों को पकड़ा। इनसे 20 हजार रुपये से अधिक कीमत के तत्काल टिकट बरामद हुए।

पांच पर्सनल यूजर आईडी, लैपटॉप, मोबाइल भी बरामद किया गया। उससे दो तत्काल टिकट और नौ इस्तेमाल हो चुके तत्काल टिकट मिले, जिनकी कीमत 13,127 रुपये है।

दोनों प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते थे। टिकट दलालों ने बताया कि प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर तत्काल प्लस और तत्काल प्रो का विज्ञापन उन्होंने यूट्यूब पर देखा। इसके बाद उन्हें मोबाइल नंबर 7349517758 मिला।

इस पर व्हाट्सएप चैट करने के बाद उन्हें पासवर्ड मिल गया। फिर गूगल क्रोम से उन्होंने सॉफ्टवेयर डाउनलोड कर उन्हें एक्टिवेट कर लिया। इसके बाद 30 रुपये रोजाना की दर से महीने भर का किराया उनसे ले लिया गया।

शातिर एक दिन में करीब 20 टिकट तक बना लेते थे। तत्काल टिकटों में प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से सेंधमारी कर एक मिनट में 20 तक टिकट बुक कर लिए जाते हैं।

पुलिस ने बताया कि तत्काल प्लस और तत्काल प्रो सॉफ्टवेयर में यात्रियों के नाम, उम्र, लिंग आदि जानकारी अपने आप भर जाती है। इतना ही नहीं यह कैप्चा बाईपास कर देता है और जैसे ही तत्काल का समय होता है।

सबसे अधिक पुष्पक एक्सप्रेस व कुशीनगर ट्रेनों की दलालों ने एक महीने में 320 से अधिक मामले सामने आ चुके है। फिर भी टिकटों की दलाली नहीं रुक रही है। इसके पीछे आरपीएफ, रेलवे प्रशासन की लापरवाही प्रमुख है।

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