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यूपी पुलिस पर आरोप लगा, लखनऊ एवं अमरोहा के दो युवाओं ने की आत्महत्या !

मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ : पहली घटना राजधानी लखनऊ की है, जहाँ प्रतियोगी छात्र ने सुसाइड नोट में पुलिस ने कृत्यों को लिख कर जान दे दी। रहीमाबाद थाना भ्रष्ट है, मुझ पर झूठा केस दर्ज किया और फिर फाइनल रिपोर्ट लगाने के लिए दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने 50 हजार रुपये मांगे, नहीं दिए तो चार्जशीट लगा दी, ऐसा लिखकर माल के गहदों निवासी प्रतियोगी छात्र आशीष कुमार (22 वर्ष) ने रविवार दोपहर करीब 12 बजे खुदकुशी कर ली। उसका शव कमरे में पंखे के कुंडे से लटका मिला। महकमे की किरकिरी होता देख पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर ने रात 8.30 बजे दोनों दरोगा व सिपाही को लाइनहाजिर कर दिया। साथ ही इन सबके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू करा दी।
प्रभारी निरीक्षक रहीमाबाद अख्तियार अंसारी के मुताबिक गहदों निवासी मयंक रावत ने दोपहर करीब एक बजे पुलिस को सूचना दी कि उसके भाई आशीष ने खुदकुशी कर ली है। मौके पर पहुंची पुलिस को कमरे से एक सुसाइड नोट मिला। इसमें दो दरोगा व एक सिपाही पर गंभीर आरोप लगाया गया था।आशीष की मां सुशीला ने थाने में तहरीर देकर दरोगा राजमणि पाल व लल्लन प्रसाद पाल और सिपाही मोहित शर्मा के साथ ही बकतौरीपुर निवासी नंदू विश्वकर्मा व श्यामलाल के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। एसीपी वीरेंद्र विक्रम ने बताया कि सुशीला की तहरीर पर जांच की जा रही है। मृतक के भाई मयंक ने बताया कि आशीष सिविल सर्विसेज के लिए तैयारी कर रहा था।
आशीष ने दुकान में रखे एक सीमेंट कंपनी के एस्टीमेट बुक के दो पन्नों पर सुसाइड नोट लिखा है। इसमें लिखा कि नंदू विश्वकर्मा, अरविंद, श्याम किशोर ने साजिश रचकर हम दोनों भाई- आशीष कुमार, मनीष उर्फ मयंक पर अपने मजदूरों के जरिये झूठा केस दर्ज कराया है। रहीमाबाद थाने के दरोगा राजमणि पाल, लल्लन प्रसाद पाल व सिपाही मोहित शर्मा ने मिलकर झूठी एफआईआर दर्ज की। हमने इनसे कहा कि हमारे घर पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उनको चेक कर लो। धोखे से हम भाइयों को थाने पर बुलाकर सादे कागज व आधार कार्ड पर दस्तखत करा लिये। मैं खुदकुशी करने जा रहा हूं। रहीमाबाद थाना पूरा भ्रष्ट है।

दूसरी घटना अमरोहा की है।जहां थाना सैदनगली क्षेत्र के गांव तारारा निवासी मजदूर मदनपाल (38) ने फंदे पर लटक कर जान दे दी। शव गांव से एक किलोमीटर की दूरी पर पेड़ से लटका मिला। मजदूर की जेब से मिले एक पत्र को सुसाइड नोट बताया जा रहा है। जिसमें लिखा है “मेरी मौत की जिम्मेदार सैदनगली थाना पुलिस है। पुलिस द्वारा मेरा उत्पीड़न किया जा रहा था। मुझसे एक पुराने केस को लेकर 18 लाख रुपये मांगे जा रहे थे”। फिलहाल पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। बताते हैं कि 21 जून 2022 को कार की टक्कर से थाना क्षेत्र गांव फतेहपुर खादर में साइकिल सवार राजमिस्त्री कृपाल (55) की मौत हो गई थी। कार में मदन भी बैठा था। हादसे के बाद चालक और अन्य लोग मौके से भाग गए थे, लेकिन लोगों ने मदन को पकड़ लिया था। मामले में मदन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। मरने वाले व्यक्ति के परिजन पुलिस के सहयोग से मुआवजे के रूप में मोटी रकम मांग रहे थे, जिसको लेकर मदन काफी परेशान चल रहा था।

कृपाल सिंह के घर वालों ने एक साल बाद मुआवजा लेने के लिए कोर्ट में 18 लाख 28 हजार का दावा किया था। इसकी सूचना मदन को उसके वकील द्वारा मिली। तब से ही मदनपाल डिप्रेशन में था, जिसके चलते रविवार सुबह मदन ने गांव से ही कुछ दूरी पर पेड़ से लटक कर जान दे दी। मृतक ने अपने पीछे चार बच्चे छोड़े हैं। जिसमें तीन बेटे और एक बेटी है। मदन की जेब से एक पत्र मिला है, जिसे सुसाइड नोट बताया जा रहा है। इसमें लिखा है कि मुकदमे में मेरा नाम गलत लिखा गया था, मुझसे पांच लाख रुपये पहले ले लिए गए और अब फिर मुझसे 18 लाख मांगे जा रहे हैं। मेरी मौत की जिम्मेदार से सैदनगली पुलिस है।
सीओ श्वेताभ भास्कर का कहना है कि शव पोस्टमार्टम को भेजा गया है। जिस मुकदमे में इसका नाम लिखा गया था। चार्जशीट में से नाम निकाल दिया गया था। कोर्ट में दूसरे पक्ष ने 18 लाख मुआवजा लेने का दावा किया है। इसकी जानकारी मिलने पर तनाव में चले जाने की वजह से व्यक्ति ने यह आत्मघाती कदम उठाया है। मामले की बारीकी से जांच की जा रही।
जब तक मोदी-योगी न आ जाएं, मेरी लाश न उठे
मृतक मदनपाल के जेब से मिले पत्र में सैदनगली पुलिस को तो जिम्मेदार ठहराया ही, वहीं उसमें यह भी लिखा है कि जब तक मोदी और योगी न आ जाएं, मेरी लाश को उठाने मत देना। पत्र में लिखी लाइनों से साफ है कि मदनपाल मानसिक तनाव झेल रहा था। मृतक की पत्नी भागवती व परिवार के लोगों का भी यही कहना है कि हादसे के केस में उसे गलत तरीके से फंसाया गया। अब 18 लाख का मुआवजा देने के लिए मदनपाल पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था। पुलिस भी उसे परेशान कर रही थी। यही कारण उसकी आत्महत्या के कारण बने।
21 जून 2022 को हुए सड़क हादसे में पुलिस ने मदनपाल को जिम्मेदार साबित कर दिया था। जबकि परिवार के लोगों का कहना है कि उस दौरान मदनपाल ने बताया था कि वह कार नहीं चला रहा था। चालक व अन्य लोग वहां से फरार हो गए थे। तत्कालीन इंस्पेक्टर ने भी मदनपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। पुलिस द्वारा कार मालिक व उसमें सवार अन्य लोगों से पूछताछ तक नहीं की गई। जिसके बाद मजदूर मदनपाल लाचार हो गया था। आखिरकार उसने इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या करने का रास्ता चुन लिया। पूरे प्रकरण में कहीं न कहीं पुलिस की कार्यशैली को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में यूं तो बुल्डोजर पुलिस की छवि बहुत कड़ी दिखाई जाती है। लेकिन बीते सप्ताह यहां के पुलिसकर्मियों पर जो धब्बे लगे वह बहुत शर्मसार कर रहे हैं। औरैया में लूट का माल कोतवाली के अंदर कोतवाल के घर में मिलने पर कोतवाल को जेल भेजा गया, तो वाराणसी में एक कंपनी में एक करोड़ चालीस लाख की डकैती के आरोप में सात पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर दिया गया। अब इन दोनों आत्महत्यायों के बाद मिले सुसाइड नोट ने यूपी पुलिस के मित्र पुलिस होने के दावे की हवा निकाल दी है।

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