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Shani Amavasya 2019: जानिए शनि अमावस्या का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

Shani Amavasya 2019: शनि अमावस्या 2019 में कब है। क्या है इस दिन की तिथि, शुभ मुहूर्त , कैसे कि जाती है इस दिन पूजा,क्या है शनिदेव के मंत्र। अगर आप यह नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बतायेंगे। शनिवार को पड़ने के कारण शनिश्चरी अमावस्या का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। उत्तर भारत में शनि अमावस्या को शनि जयंती के रुप में भी मनाया जाता है।यह दिन दान – स्नान , पितरों की मुक्ति के लिए विशेष माना जाता है। इसके अलावा काल सर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए यह दिन काफी विशेष है। इस दिन किए गए ज्यातिषिय उपाय विशेष लाभ देते हैं।शनिश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा का विधान है। इस दिन शनि देव की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।तो आइए जानते है शनि अमावस्या की तिथि, पूजा विधि और मंत्र

शनि अमावस्या 2019 तिथि – 4 मई 2019 शनि अमावस्या 2019
शुभ मुहूर्त – 4 मई 2019 से 4 बजकर 5 मिनट से शुरु 5 मई 2019 से 4 बजकर 16 मिनट पर समाप्ति

शनि अमावस्या पूजा विधि
1.सुबह सूर्योदय से पहले जल्दी उठकर नहा लें। इसके बाद तांबे के लोटे में जल लेकर उसमें तिल मिला लें और पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं। 2.शनि मंदिर में जाकर श्रद्धा से प्रणाम करें और शनिदेव को तेल चढ़ाएं।
3.इस दिन तेल और लोहे की चीजों का दान करें।.दिनभर व्रत रखकर शाम को शनिदेव की पूजा करें।
4.शनि मंदिर जाएं या घर की पश्चिम दिशा में शनिदेव के लिए तेल का दीपक लगाएं।
5.शनिदेव की पूजा के समय ऊं शं शनैश्चराय नमः या ”प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः मंत्र बोलें।

शनिदेव के मंत्र 
1.आपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया। दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।। गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्र्य मेव च आगता: सुख संपत्ति पुण्योहम तव दर्शनात ।। 
2.ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलाहपरिहा। कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा। शनैनार्मनि पत्नीनामेतानि संजपन पुमान। दुखानि नाश्येनितम्म सौभगयमेधते सुखमं।। 
3.नील कमल सुगन्धीनि माल्यादीनि वै प्रभो। मयारिहतानि पुष्पाणि गृह्यताम पूजनाय भो।। 
4.साज्यम च वर्तिसंयुक्तम वहिंना योजितं मया। दीपं गृहाण देवेशम त्रैलोक्य तिमिरा पहम भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने।। 
5.ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।।

शनि अमावस्या पर पितृ तर्पण के उपाय 
1.शनि अमावस्या के दिन सबसे पहले सूर्योदय से पहले उठें।फिर किसी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें।
2.इसके बाद हाथ में जल लेकर सूर्यदेव का आह्वाहन करें।

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