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Saubhagya Sundari Vrat: जानिए क्या है सौभाग्य सुंदरी व्रत कथा, मात्र पढ़ने से मिलता है अखण्ड सौभाग्यवती का वरदान

सौभाग्य सुंदरी व्रत में माता पार्वती की पूजा की जाती हैं। सौभाग्य सुंदरी व्रत कथा सौभाग्य सुंदरी व्रत में पढ़नी आवश्यक होती हैं, वरना व्रत का फल नहीं मिलता हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से अखण्ड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता हैं। इस बार सौभाग्य सुंदरी व्रत 25 नवंबर 2018, रविवार को किया जाएगा।
सौभाग्य सुंदरी व्रत कथा
पार्वती माता की दो जया-विजया नाम की सखियां थी। एक दिन मुनि कन्याओं ने उनसे पूछा कि आप दोनों तो सदा देवी पार्वती के साथ रहती हैं। आपको तो सब पता होगा कि उनको क्या प्रिय है और किस मंत्र, कथा और उपाय से वो प्रसन्न होती हैं।
इसका जवाब देते हुए जया बोली कि मैं तुम दोनों को इस विषय में सब बताती हूं। सौभाग्य सुंदरी व्रत के दिन प्रातः काल सभी कार्यों से निवृत होकर स्वच्छ, वस्त्र आभूषणों को धारण करें। मंदिर में देवी पार्वती के लिए एक वेदी बनाएं फिर उसे सुन्दर और सुगंधित पुष्पों से सजाएं। सर्वप्रथम वहां अपने पित्रों को नमन करें। फिर गणेश व नवग्रह आदि के पूजन से पूजा का आरम्भ करें। फिर देवी के आठ नामों से उनका पूजन करें। हल्दी-कुमकुम, कपूर और चन्दन का लेप लगाएं। इसके बाद देवी का रात्रि जागरण करें। अगले दिन सुबह उठकर स्नानादि कर पवित्र हो देवी को अर्पित की हुई सारी सामग्री सुहागिन स्त्रियों में बांट दें। इस प्रकार सौभाग्य सुंदरी व्रत को करने वाली स्त्रियां अखण्ड सौभाग्यवती होने का वरदान देवी से प्राप्त करती है। मान्यता है कि जो भी स्त्री इस प्रकार व्रत करती हैं, उसके सुहाग की रक्षा स्वयं माता पार्वती करती हैं। इस व्रत का प्रभाव इतना अधिक है कि इस व्रत को करने से दांपत्य दोष के साथ ही मांगलिक दोष भी दूर होता हैं।

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