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Independence Day : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी सदैव हमारे नैतिक आदर्श : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

लखनऊ-नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम दिए अपने संदेश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों को मानने की बात कही. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी को राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं मंजूर नहीं थीं, वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक थे और सदैव रहेंगे. राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि इस बार स्वाधीनता दिवस इस मायने में खास है कि 2 अक्टूबर से महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत के राष्ट्रपति के रूप में विश्व में हर जगह, जहां-जहां भी वे गये, सम्पूर्ण मानवता के आदर्श के रूप में गांधीजी को सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है. उन्हें मूर्तिमान भारत के रूप में देखा जाता है.राष्ट्रपति ने कहा कि हमें गांधीजी के विचारों की गहराई को समझने का प्रयास करना होगा. उन्हें राजनीति और स्वाधीनता की सीमित परिभाषाएं मंजूर नहीं थीं. उन्होंने कहा कि चंपारन में और अन्य बहुत से स्थानों पर गांधी जी ने स्वयं स्वच्छता अभियान का नेतृत्व किया. उन्होंने साफ-सफाई को, आत्म-अनुशासन और शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक माना. राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी का महानतम संदेश यही था कि हिंसा की अपेक्षा, अहिंसा की शक्ति कहीं अधिक है. प्रहार करने की अपेक्षा, संयम बरतना, कहीं अधिक सराहनीय है तथा हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है. गांधीजी ने अहिंसा का यह अमोघ अस्त्र हमें प्रदान किया है.
इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम सब भारतवासी अपने दिन-प्रतिदिन के आचरण में गांधीजी द्वारा सुझाए गए रास्तों पर चलने का संकल्प लें. हमारी स्वाधीनता का उत्सव मनाने का इससे बेहतर कोई और तरीका नहीं हो सकता . राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि देश का विकास करने, तथा ग़रीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के काम हम सबको करने हैं. राष्ट्रपति ने इस संदर्भ में किसानों के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्‍ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं.
देश की सुरक्षा में सैनिकों के महत्व को रेखांकित करते हुए कोविंद ने कहा कि हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं. वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्‍चित करते हैं. उन्होंने कहा कि जब हम सैनिकों के लिए बेहतर हथियार उपलब्ध कराते हैं, स्वदेश में ही रक्षा उपकरणों के लिए सप्लाई-चेन विकसित करते हैं, और सैनिकों को कल्याणकारी सुविधाएं प्रदान करते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं. (इनपुट भाषा से)

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