Breaking News

हरियाली अमावस्या पर सिर्फ इस पौधे से पूरी होगी आपकी मनोकामना, जानिए कैसे?

शिव शंकर के प्रिय मास सावन में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। वर्षा ऋतु के इस मौसम में प्रकृति सभी जगह हरियाली की चादर ओढ़ लेती है। हरियाली एवं पितरों को सम्मलित रूप से समर्पित यह पर्व इस वर्ष एक अगस्त को मनाया जाएगा। नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, देव पूजा एवं वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
शिव शंकर के प्रिय मास सावन में कृष्ण पक्ष की अमावस्या को हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। वर्षा ऋतु के इस मौसम में प्रकृति सभी जगह हरियाली की चादर ओढ़ लेती है। हरियाली एवं पितरों को सम्मलित रूप से समर्पित यह पर्व इस वर्ष एक अगस्त को मनाया जाएगा। नारद पुराण के अनुसार श्रावण मास की अमावस्या को पितृ श्राद्ध, दान, देव पूजा एवं वृक्षारोपण आदि शुभ कार्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।
अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है व्रत
श्रावण मास में महादेव के पूजन का विशेष महत्त्व है, लेकिन हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिव-पार्वती के पूजन करने से उनकी सदैव कृपा बनी रहती है और प्रसन्न होकर वे अपने भक्तों की हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण करते हैं। कुंवारी कन्याएं इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करती हैं, तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है। इसके अलावा सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
शिव के आशीर्वाद से दूर होते हैं ये दोष
जिन लोगों की कुंडली में कालसर्पदोष, पितृदोष और शनि का प्रकोप है वे हरियाली अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत या रुद्राभिषेक करें तो उन्हें लाभ होगा। इस दिन शाम के समय नदी के किनारे या मंदिर में दीप दान करने का भी विधान है।जानें पीपल से क्या है पुण्य का संबंध
इस दिन प्रातः उठकर अपने इष्टदेव का ध्यान करना चाहिए। शास्त्रों में इस दिन वृक्षारोपण का विधान बताया गया है। भविष्य पुराण में उल्लेख है कि जिसको संतान नहीं है, उसके लिए वृक्ष ही संतान है। वृक्ष लगाने से वृक्ष में विद्यमान देवी-देवता पूजा करने वालों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। दिन-रात ऑक्सीजन देने वाले पीपल में ब्रह्मा, विष्णु व शिव का वास होता है। पद्म पुराण में कहा गया है कि एक पीपल का वृक्ष लगाने से मनुष्य को सैंकड़ों यज्ञ करने से भी अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। पीपल के दर्शन से पापों का नाश, स्पर्श से लक्ष्मी की प्राप्ति एवं उसकी प्रदिक्षणा करने से आयु बढ़ती है।
कामनाओं के अनुसार लगाएं पौधे
गणेश और शिव को प्रिय शमी का वृक्ष लगाने से शरीर आरोग्य बनता है। श्री हरि का प्रिय वृक्ष आंवला लगाने से श्री की प्राप्ति होती है। शिवजी की कृपा पाने के लिए बिल्वपत्र अवश्य लगाना चाहिए। अशोक लगाने से जीवन के समस्त शोक दूर होते हैं एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए अर्जुन, नारियल, बरगद (वट) का वृक्ष लगाएं। वहीँ संतान की सुख-समृद्धि के लिए पीपल, नीम, बिल्व, गुड़हल और अश्वगंधा के वृक्ष लगाना हितकर होगा। कुशाग्र बुद्धि पाने के लिए आंकड़ा, शंखपुष्पी, पलाश, ब्राह्मी एवं तुलसी लगाना शुभ परिणाम देगा।
हरियाली अमावस्या का वैज्ञानिक महत्त्व
हमारी भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। पर्यावरण को संरक्षित करने की दृष्टि से ही पेड़-पौधों में ईश्वरीय रूप को स्थान देकर उनकी पूजा का विधान बताया गया है। इस पर्व का जितना धार्मिक महत्त्व है, उतना ही वैज्ञानिक औचित्य भी है। हरियाली अमावस्या पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व और धरती को हरी-भरी बनाने का संदेश देती है। पेड़-पौधे जीवंत शक्ति से भरपूर प्रकृति के ऐसे अनुपम उपहार हैं, जो सभी को प्राणवायु ऑक्सीजन तो देते ही हैं, पर्यावरण को भी शुद्ध और संतुलित रखते हैं। आज जब मौसम पूरे विश्व में बदल रहा है तब यह अमावस्या महज़ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि पृथ्वी को हरा-भरा बनाए रखने का संकल्प पर्व भी है।

Loading...

Check Also

सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविज़न ‘श्रीमद रामायण’ ‘श्री राम रथ’ लेकर कानपुर पहुंचा !

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, कानपुर : मर्यादा पुरूषोत्तम प्रभु श्री राम के धार्मिक और साहसी ...