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सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना छुट्टी पर भेजे गए , एम नागेश्वर राव होंगे सीबीआई के अंतरिम निदेशक

नई दिल्ली / लखनऊ :  सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना दोनों को छुट्टी पर भेज दिया गया है. दोनों अफसरों को फोर्स लीव पर भेजे जाने के बाद उनके सीबीआई मुख्यालय स्थित दफ्तरों को सील करने की खबर आई. हालांकि बाद में सीबीआई ने सफाई जारी कर दफ्तर सील होने की बात का खंडन किया. वहीं ज्वाइंट डायरेक्टर एम  नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाया गया है. अग्रिम आदेशों तक अब सीबीआई का संचालन एम नागेश्वर राव करेंगे.बता दें कि सीबीआई,  कार्मिक मंत्रालय के अधीन आता है.इस मंत्रालय के प्रभारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं. बताया जा रहा है कि हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग कारोबारी मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में कथित घूस लेने के आरोपों पर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया. जिसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा पर भी दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगा दिया. दोनों शीर्ष अफसरो के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से सीबीआई की विश्वसनीयता पर उठते सवालों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेश पर यह कार्रवाई हुई है.

मोइन कुरैशी केस में कथित रूप से दो करोड़ रुपये घूस लेने के मामले में सीबीआई ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज किया. मंगलवार को अदालत में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि राकेश अस्थाना और देवेंद्र सिंह के खिलाफ जबरन वसूली और जालसाजी के आरोप जोड़े गए हैं. कुमार को कथित तौर पर घूस लेने, रिकॉर्ड में हेरफेर के मामले में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. अस्थाना और उनके बॉस सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा से जुड़े इस हाईवोल्टेज ड्रामा ने कांग्रेस और विपक्षी दलों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दे दिया.

विपक्षी दलों ने केंद्र पर ‘‘देश की संस्थाओं को बर्बाद” करने का आरोप लगाया. अपने ऊपर दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए अस्थाना ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस पर न्यायाधीश ने सीबीआई से कहा कि वह मामले में विशेष निदेशक के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही पर 29 अक्टूबर को मामले की अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखे.
अदालत ने हालांकि स्पष्ट किया कि मामले की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए इस मामले में जारी जांच पर किसी तरह का स्थगन नहीं है. तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच देवेंद्र सिंह ने अपने खिलाफ दायर प्राथमिकी को रद्द करने और मामले से जुड़े दस्तावेजों को सौंपे जाने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की. इसके बाद गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना ने भी हाईकोर्ट में ऐसी ही एक याचिका दायर की.
अस्थाना का आरोप है कि विवादास्पद मांस कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में सीबीआई निदेशक द्वारा कथित तौर पर उनके नेतृत्व में हो रही जांच में हस्तक्षेप किया जा रहा है. अस्थाना इस बारे में भ्रष्टाचार निरोधक निगरानीकर्ता, केंद्रीय सतर्कता आयोग को लगातार लिखते रहे हैं. न्यायमूर्ति नाजिम वजीरी ने अस्थाना और घूस मामले में गिरफ्तार उपाधीक्षक देवेंद्र कुमार द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं पर जांच एजेंसी, उसके निदेशक आलोक कुमार वर्मा और संयुक्त निदेशक ए के शर्मा से जवाब मांगा है.एम नागेश्वर राव मूल रूप से तेलंगाना के वारंगल के रहने वाले हैं. उन्होंने ओस्मानिया यूनिवर्सिटी से केमिस्ट्री में परास्नातक की पढ़ाई की है. एम नागेश्वर राव आईआईटी मद्रास में भी पढ़ चुके हैं. IIT से शोध करने के दौरान वह सिविल की तैयारी भी कर रहे थे.

अंतिरम निदेशक नागेश्वर राव :

  1. नागेश्वर राव 1986 में आईपीएस बने. वह ओडिशा कैडर के अधिकारी हैं. नागेश्वर राव साल 2016 में CBI आये. यहां वह बतौर संयुक्त निदेशक कार्य कर रहे थे. अब सीबीआई के नंबर 1 और नंबर 2 की लड़ाई के बीच उन्हें अंतरिम निदेशक बनाया गया है.
  2. एम नागेश्वर राव को तेज-तर्रार और शख्त अधिकारी माना जाता है. ओडिशा में अपनी पहली पोस्टिंग के दौरान ही उन्होंने अवैध खनन के लिए बदनाम तलचर में अपराध पर लगाम लगाकर पहचान बनाई.
  3. नागेश्वर राव को मणिपुर में विद्रोही गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए भी जाना जाता है. यहां सीआरपीएफ के डीआईजी (ऑपरेशंस) के रूप में उन्होंने विद्रोहियों की कमर तोड़ दी.
  4. पश्चिम बंगाल और ओडिशा में चिटफंड घोटाले की जांच करने वाले नागेश्वर राव को कई पुरस्कार भी मिल चुके हैं. जिनमें राष्ट्रपति पुरस्कार, ओडिशा राज्यपाल मेडल और स्पेशल ड्यूटी मेडल प्रमुख हैं.

 

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