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लॉकडाउन: ट्रेडर्स की सरकार से आर्थिक पैकेज मांग, कोविड कैश लोन से लेकर कर्ज पर ब्याज छूट समेत कई डिमांड

अशोक यादव, लखनऊ। कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन संकट के चलते देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति लगातार ख़राब होती जा रही है।

इस कारण ट्रेडर्स ने केंद्र सरकार से कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने के लिए देश के व्यापारियों के लिए एक आर्थिक पैकेज जारी करने का अनुरोध किया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे गए एक विस्तृत ज्ञापन में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने व्यापारियों के लिए एक कोविड कैश लोन कार्यक्रम, देश भर में आवश्यक वस्तुओं में लगे व्यापारियों और उनके कर्मचारियों के लिए बीमा योजना, कर्मचारियों को वेतन देने में सरकारी सब्सिडी, मुद्रा लोन में अधिकतम सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने सहित अन्य कई कदमों के उठाए जाने की वकालत की है।

कैट ने सभी प्रकार के बैंक लोन, सीसी और ओवरड्राफ्ट सीमा पर अप्रैल से तीन महीने के लिए ब्याज की छूट, गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों को मजबूत करने का भी आग्रह किया है।

वर्तमान में देश में 14 अप्रैल 2020 तक लॉकडाउन है, जिसने व्यापार और वाणिज्य गतिविधियों को एक बड़ा झटका दिया है. इसके कारण देश में लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले व्यापारियों के लगभग 7 करोड़ व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद हैं.

ये हैं ट्रेडर्स की डिटेल्ड मांगें

  • व्यापारियों की क्रेडिट हिस्ट्री को प्रभावित किए बिना वैधानिक भुगतान में 30-60 दिनों की छूट अवधि के लिए अनुमति दी जाए।
  • देश भर के व्यापारियों और एमएसएमई के द्वारा दिए जाने वाले ब्याज पर 3 फीसदी की दर से छूट दी जानी चाहिए।
  • मानक ऋणों पर अप्रैल/मई, जून में किसी भी लाइसेंस के नवीनीकरण को कम से कम 1 महीने तक बिना किसी दंड के अनुमति दी जाए।
  • व्यापारियों के लिए एक कोविड ऋण कार्यक्रम (बिना ब्याज और शुल्क के) घोषित हो।
  • मुद्रा ऋण की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये को बढ़ाकर 25 लाख रुपये किया जाए और मुद्रा लोन का वितरण बैंकों के बजाय, नॉन बैंकिंग फाइनेंस कम्पनी, माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशंस के माध्यम से किया जाए। साथ ही बैंकों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वे इन वित्तीय कंपनियों को मानदंडों के अनुसार पूंजी प्रदान करें।
  • अगले 3 महीनों के लिए व्यापारियों के कर्मचारियों को प्रत्येक महीने डीबीटी के माध्यम से 2000 रुपये दिए जाएं।
  • नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों को व्यापारियों को कार्ड जारी करने के लिए लाइसेंस दिया जाए।
  • व्यापारियों को वित्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान उनकी बिक्री के 10% के अनुपात में तदर्थ ऋण सीमा दी जानी चाहिए।
  • इस टर्म लोन पर 5% का ब्याज हो और इसे जनवरी 2021 से शुरू होने वाले वर्ष से 60 मासिक समान किस्तों में वसूला जाना चाहिए। इस काम को सिडबी की विभिन्न शाखाओं के माध्यम से दिया जा सकता है।

कैट ने यह भी आग्रह किया है सरकार को बैंकों सहित ईपीसी पर ब्याज में छूट देने के लिए 90 दिनों के लिए बैंकों से वापस भुगतान के बाद से कोई भी डिमैरेज चार्ज नहीं लगाने का आदेश जारी करना चाहिए।

इसकी वजह है कि लॉक डाउन से आयात एवं निर्यात बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. एनपीए के मानदंडों को 30 सितंबर 2020 तक स्थगित किया जाना चाहिए।

पीएफ/ईएसआईसी भुगतान के लिए व्यापारियों के योगदान को ब्याज के बिना लगभग 6 महीने की अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए।

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के अधिकारियों द्वारा सभी वसूली के दबाव को 6 महीने की अवधि के लिए स्थगित किया जाए।

कैट ने कहा कि कई उधारकर्ता वर्तमान में एसएमए 1 या 2 (यानी एनपीए बनने के कगार पर हैं). बैंकों को 25% अतिरिक्त सीमा के विशेष पैकेज देने के लिए निर्देशित किया जाए।

इसे उधारकर्ताओं के लिए अलग से उपलब्ध कराया जाना चाहिए और अतिदेय राशि को ब्याज के बिना 12 महीने की अवधि में कार्यशील पूंजी अवधि ऋण में परिवर्तित किया जाना चाहिए।

इस पुनर्गठन को क्रेडिट रेटिंग के लिए नहीं माना जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो एक तरफ उधारकर्ता को पैकेज मिलेगा और दूसरी तरफ, खराब क्रेडिट रेटिंग के कारण उसे उच्च ब्याज दर का भुगतान करना होगा।

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