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मालेगांव विस्फोट मामले में कर्नल पुरोहित हुए रिहा, सुप्रीम कोर्ट ने की ज़मानत याचिका मंजूर

मालेगांव विस्फोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका मंजूर कर ली है। कर्नल पुरोहित के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा था कि कर्नल पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप तय हो जाते हैं तो अधिकतम सजा सात साल की हो सकती है जबकि वे नौ साल से जेल में हैं। जिसके बाद कोर्ट ने सोमवार को उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट में कर्नल पुरोहित की ओर से जमानत के लिए दायर याचिका पर सुनवाई पूरी करते हुए लास्ट वीक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने इस मामले में एनआईए से जवाब भी तलब किया था। इसके जवाब में एनआईए ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कर्नल पुरोहित की जमानत का विरोध किया था।

 

ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने माना है कि कर्नल पुरोहित बम बनाने और सप्लाई करने में शामिल थे। बॉम्बे हाईकोर्ट कर्नल पुरोहित की बेल एप्लीकेशन रिजेक्ट कर चुका है। जबकि इसी मामले की एक अन्य आरोपी साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी गई है। याचिका में पेरिटी के आधार पर जमानत मांगी गई है। याचिका में कर्नल पुरोहित ने कहा है कि, वे 9 साल से जेल में बंद हैं। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सही फैसला नहीं दिया है। हाईकोर्ट ने इसी आधार पर साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी लेकिन उनको जमानत देने से इनकार कर दिया। इसलिए उन्हें भी समानता के आधार पर जमानत दे दी जाए। याचिका में यह भी कहा है कि हाईकोर्ट ने सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की रिपोर्ट पर गौर नहीं किया जिसमें कहा गया है कि वे सेना के लिए इंटेलीजेंस का काम करते थे।
क्या है मालेगांव ब्लास्ट केस?

– 21 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव 2 ब्लास्ट हुए थे। इनमें 7 लोग मारे गए थे, जबकि 79 जख्मी हुए थे।
– ब्लास्ट उस वक्त किए गए थे, जब लोग रमजान के दौरान नमाज पढ़ने जा रहे थे।
– इन ब्लास्ट के पीछे हिंदू राइट विंग ग्रुप्स से जुड़े लोगों का हाथ होने की बात सामने आई थी।

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