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महंगाई की मार…. बेरोजगारी के आलम में टमाटर 80 तो प्याज 60 रुपए के पार, लोग परेशान

अशाेक यादव, लखनऊ। छह महीने से कोरोना काल में लोग बिना रोजगार के घर में बैठे दिन गुजार रहे हैं तो दूसरी तरफ सब्जियों के भाव दूध से भी महंगे हो गए हैं। कोरोना का असर सबसे ज्यादा सब्ज़ियों की कीमतों पर ही पड़ता दिख रहा है।

सब्जियों के बढ़ते दाम से घर का बजट अस्थिर हो गई है। सब्जियां महंगी होने से लोगों की रसोई का जायका बिगड़ गया है। सब्जी के ऊंचे भावों के कारण मध्यम वर्ग के कई परिवारों की थाली से सब्जी और सलाद गायब हो गए हैं।

मार्च से पहले लॉकडाउन, अनलाॅक फिर बरसात के मौसम में बेरोजगारी को लेकर घर-घर के लोग परेशान हैं। अब भी बेरोजगारी की समस्या दूर नहीं हुई है। ऊपर से हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने से मध्यवर्ग की परेशानी और बढ़ गयी है।

यूपी की राजधानी लखनऊ से आगरा समेत हर जिलों में यही हाल है। लखनऊ में एक सब्जी विक्रेता का कहना है कि आलू और टमाटर की कीमत 35/ किग्रा और 80/किग्रा हैं। कोरोना वायरस की वजह से हुए लॉकडाउन और इस दौरान नौकरी गंवा देने वालों के लिए ऐसे में सब्जियां खरीदना मुश्किल हो जाएगा। बहुत से लोग हैं ,जो इन दामों पर सब्जी नहीं खरीद सकते हैं।

वहीं देश की राजधानी की बात करे तो दिल्ली की मंडियों में टमाटर 60 से 80 रुपये प्रति किलोग्राम तो आलू 40 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रहे हैं। गाजीपुर मंडी में धनिया 200 रुपये प्रति किलोग्राम और लहसुन 150 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है।

वहीं मिर्च 100 से 150 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। बता दें कि ब्रोकली जैसी सब्जियां तो 400 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा दामों में बिक रही हैं। सब्जियों के बढ़ते दाम से सभी वर्गों के लोग परेशान हैं।

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