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भारत में हर तीसरी औरत इस बीमारी की शिकार, फिर भी बरतती है लापरवाही

कुछ औरतों को अक्सर पेट के निचले हिस्से, कुल्हों और जांघों में दर्द की शिकायत रहती है जिसे वह पीरियड्स का आम दर्द समझ कर नजरअंदाज कर देती है जो कि उनकी पहली बड़ी गलती होती है। यहीं दर्द पीरियड्स के दौरान और ऑफिस में कई घंटों एक ही जगह पर बैठे रहने से बढ़ जाता है, और वहीं अगर दर्द 6 माह से ज्यादा समय तक बना रहे तो यह पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम यानीपीसीएस भी हो सकता है। पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम में महिलाओं को तेज दर्द होता है। इस स्थिति में खड़े होने पर यह दर्द ज्यादा हो जाता है, लेटने पर इसमें थोड़ी राहत मिलती है।
क्या है पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम?
यह महिलाओं में होने वाली एक ऐसी बीमारी है जिसमें पेट में तेज दर्द होता है, जो खड़े होने पर और बढ़ जाता है।पीसीएस जांघ, नितंब या योनि क्षेत्र की वैरिकोज वेन्स से संबंधित होता है। इसमें शिराएं सामान्य से अधिक खिंच जाती हैं।
हर 3 में से 1 महिला है बीमारी से अंजान
भारत में हर तीसरी महिला इस समस्या की शिकार है, बावजूद इसके वह लापरवाही बरतती है। ज्यादातर 20 से 45 आयु वर्ग की महिलाएं इसकी शिकार होती हैं जो महिलाएं हाल ही में मां बनती हैं, युवा होती हैं,या कई बार मां बन चुकी होती हैं,  उन्हें यह समस्या अधिक होती है क्योंकि इसी एज में वह संकेतों को नजर अंदाज कर देती हैं, नतीजा समस्या बढ़ जाती है।पेल्विक कंजेशन के कारण
डॉक्टर, पीसीएस का बड़ा कारण बॉडी स्ट्रक्चर व हार्मोंनल गड़बड़ी मानते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोंनल चेंज, वजन बढ़ने और पेल्विक एरिया की अनैटमी में बदलाव आने से ओवरी की नसों पर दवाब बढ़ता है, जिससे नसों की दीवार कमजोर होकर फैलने लगती है। ऐसा होने पर वॉल्व पूरी तरह से बंद नहीं होता है जिससे रक्त वापस बहकर शिराओं में आ जाता है। इसे रीफ्लेक्स कहते हैं। इसके चलते पेल्विक एरिया में ब्लड की मात्रा बहुत बढ़ जाती है और दर्द बढ़ने लगता है। पीसीएस बेली बटन के नीचे और दोनों नितंबों के बीच होता है।
पेल्विक कंजेशन सिंड्रोम के लक्षण

  • पेट के निचले हिस्से में भारीपन और दवाब
  • पेट के निचले हिस्से में मरोड़ और दर्द
  • यूरीन पास करते समय दर्द होना
  • ज्यादा देर खड़े और बैठने में दर्द
  • शारारिक संबंध बनाते समय दर्द
  • पेल्विक एरिया में लंबे समय से दर्द रहना।
  • दर्द होने पर इग्नोर करने की बजाए डाक्टर से तुरंत सलाह लें।

क्या है इसका इलाज
नॉन-सर्जिकल प्रक्रिया से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। यह पीसीएस का एक मिनिमली इनवेसिव ट्रीटमेंट है, जिसमें खराब नसों को बंद कर दिया जाता है, ताकि उनमें रक्त जमा न हो। यह एम्बलाइजेशन ब्लीडिंग को रोकने में बहुत प्रभावी है और ओपन सर्जरी की तुलना में बहुत आसान भी। ये कुछ देर की प्रक्रिया होती है। इस प्रक्रिया के बाद आपको थोड़ा दर्द महसूस हो सकता है लेकिन अगले कुछ दिनों के बाद चला जाता है।

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