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भारत में वैश्यावृत्ति कोई अपराध नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने माना पेशा, जानें सेक्स वर्कर्स को लेकर क्या कहता है भारत का कानून

नई दिल्ली। सबसे पहले ये साफ कर देना जरूरी है कि भारत में वैश्यावृत्ति कोई अपराध नहीं है। यानी ये कानूनी तौर पर अवैध नहीं है। जी हां आपको बतादें कि दुनियाभर के देशों में वैश्यावृत्ति को एक पेशे की तरह माना जाता है और सेक्स वर्कर्स को भी आम लोगों की ही तरह तमाम अधिकार और सम्मान मिलता है। लेकिन भारत में फिलहाल ऐसा नहीं है।

यहां वैश्यावृत्ति को हमेशा से ही एक अलग नजर से देखा गया है और इसे एक पेशे की तौर पर शायद ही कभी किसी ने स्वीकार किया हो। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने वैश्यावृत्ति को एक पेशा बताकर साफ किया है कि पुलिस इसमें कोई दखलअंदाजी नहीं कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की इस बड़ी टिप्पणी के बाद एक बार फिर बहस शुरू हो चुकी है कि आखिर भारत में वैश्यावृत्ति कानूनी तौर पर सही है या फिर नहीं। साथ ही सेक्स वर्कर्स को लेकर भी कई तरह के सवाल फिर लोगों के मन में उठने लगे हैं। तो आइए हम आपको इन तमाम सवालों का जवाब देते हैं और बताते हैं कि भारत में वैश्यावृत्ति को लेकर क्या स्थिति है।

क्या कहता है कानून?
सबसे पहले ये साफ कर देना जरूरी है कि भारत में वैश्यावृत्ति कोई अपराध नहीं है. यानी ये कानूनी तौर पर अवैध नहीं है. हालांकि इससे जुड़े कई मामलों में ये अवैध माना जाता है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो सार्वजनिक स्थानों पर वैश्यावृत्ति करना कानूनी तौर पर सही नहीं है. अगर कहीं भी ऐसा होता है तो ये गैरकानूनी होगा। इसके अलावा –

  • अगर कोई होटल या फिर ऐसी ही किसी जगह पर वैश्यावृत्ति करते हुए पाया गया तो ये गैरकानूनी होगा
  • किसी सेक्स वर्कर की व्यवस्था कर किसी भी तरह वैश्यावृत्ति में शामिल होना
  • किसी ग्राहक के लिए सेक्स वर्कर को बुलाना और उसे ऐसी क्रिया के लिए उकसाना
  • अगर कोई सेक्स वर्कर अपने काम का प्रचार करती पाई जाती है या फिर किसी को इसके लिए आकर्षित करती है तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है.
  • कॉल गर्ल्स को अपना नंबर सार्वजनिक करने की भी इजाजत नहीं है, अगर ऐसा किया जाता है तो ये गैरकानूनी माना जाएगा और 6 महीने तक की सजा हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने इस अहम टिप्पणी के साथ सेक्स वर्कर्स को लेकर सिफारिशों पर केंद्र और राज्यों से जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि 8 हफ्ते में उन तमाम सिफारिशों पर जवाब दें, जिनमें कहा गया है कि सेक्स वर्करों को क्रिमिनल लॉ में समान अधिकार मिले हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से काफी सिफारिशों को मान लिया गया, लेकिन राज्यों में अब तक इन्हें लेकर काफी मतभेद हैं. इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से भी इसे लागू करने को कहा है। अगर ये तमाम सिफारिशें देशभर में लागू हो जाती हैं तो इससे सेक्स वर्कर्स के अधिकारों में काफी कुछ बदलाव होगा और वो सम्मान के साथ समाज का हिस्सा बन पाएंगीं। सिफारिशों के बाद ये सेक्स वर्कर्स के लिए ये अहम बदलाव होंगे-

  • किसी भी सेक्स वर्कर को बाकी तमाम लोगों की तरह समान अधिकार दिए जाएंगे।सभी मामलों में समान कानूनी अधिकार लागू होंगे।
  • अगर सेक्स वर्कर बालिग है और खुद की मर्जी से ये काम कर रही है तो पुलिस किसी भी तरह उसे परेशान नहीं कर सकती है।सेक्स वर्कर के खिलाफ किसी भी तरह का क्रिमिनल एक्शन नहीं होगा।
  • जब भी कोई सेक्स वर्कर किसी भी तरह के अपराध को लेकर कोई शिकायत करती है तो उसे पुलिस को गंभीरता से लेना होगा और कानून के तहत कार्रवाई करनी होगी।
  • अगर वैश्यालय पर पुलिस रेड होती है तो, ऐसे में ये ध्यान रखा जाएगा कि खुद की मर्जी से सेक्स करना अपराध नहीं है, एक वैश्यालय को चलाना गैरकानूनी है. ऐसे में किसी भी सेक्स वर्कर की गिरफ्तारी नहीं होगी। या उसे सजा नहीं दी जाएगी।
  • केंद्र और राज्य सरकारों को किसी भी पॉलिसी को तैयार करने के दौरान सेक्स वर्कर्स या फिर उनके किसी प्रतिनिधि को प्रक्रिया में शामिल करना होगा। अगर आगे इन्हें लेकर बने कानून में बदलाव किया जाता है तो भी यही प्रोसेस फॉलो किया जाए।
  • अगर कोई सेक्स वर्कर किसी यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है तो उसे तुरंत अच्छा इलाज मुहैया कराया जाएगा।साथ ही इस दौरान उसकी अन्य मरीजों की ही तरह सही देखभाल होगी।
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