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भाजपा के अहंकार ने उत्तर प्रदेश को डुबो दिया : अखिलेश यादव


राहुल यादव, लखनऊ । अखिलेश यादव ने कानपुर नगर के चौबेपुर थानान्तर्गत बिकरू गांव में कुख्यात अपराधी को पकड़ने गई पुलिस टीम के 8 वीरों की शहादत पर श्रद्धांजलि देते हुए संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। राज्य सरकार से शहीद पुलिस कर्मियों को एक-एक करोड़ तथा घायलों को 50-50 लाख रूपए देने की उन्होंने मांग की है।
      उत्तर प्रदेश के अपराधिक जगत की इस सबसे शर्मनाक घटना में सत्ताधारियों और अपराधियों की मिली भगत का खामियाजा कर्तव्यनिष्ठ पुलिस कर्मियों को भुगतना पड़ा है। भाजपा सरकार की यह ऐतिहासिक नाकामी है। बेलगाम अपराधियों ने नृशंस हत्या ही नहीं की मृत पुलिस कर्मियों के असलहे भी लूट ले गए। भाजपा राज में अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है।
      अब तो इस सच्चाई को स्वीकार करने में ही भाजपा सरकार की भलाई है कि उत्तर प्रदेश में माफियाओं की समानांतर सरकार चल रही है। राज्य में अपराधिक अवांछित तत्वों का साम्राज्य कायम हो चुका है। यह सब ‘ठोकों नीति‘ का ही परिणाम है कि अपराधी पुलिस को ठोकने का दुस्साहसपूर्ण कृत्य करने में आगा-पीछा नहीं सोचते हैं। आखिर इतना जघन्य काण्ड करने की बदमाशों की हिम्मत कैसे पड़ गई?
      मुख्यमंत्री जब तब दावा करते रहे हैं कि उनके राज में अपराधी या तो जेल भेजे गए या प्रदेश के बाहर चले गए। भाजपा नेता विकास दुबे दुर्दान्त हिस्ट्रीशीटर है। उस पर 25 हजार रूपए का इनाम था। 20 साल पहले थाने में घुसकर उसने हत्याएं की थीं। राज्य सरकार के पास इस बात का क्या जवाब है कि इस सबके बावजूद वह कैसे रह रहा था?
    कानपुर की एक अकेली घटना नहीं। राजधानी लखनऊ के पारा क्षेत्र में एक मजदूर की कूच-कूच कर हत्या कर दी गई, लखनऊ के ही गोमतीनगर विस्तार में एक अवकाश प्राप्त डीआइजी के घर में घुसे युवक की थाना में मौत हो गई। उसके फांसी लगाने की कहानी बताई गई। प्रयागराज में 4 हत्याएं, अमरोहा में युवक की गोली मारकर हत्या, गाजियाबाद के साहिबाबाद में पिता और आठ साल की बच्ची की हत्या हुई और महोबा में पैरौल पर आए कैदी की हत्या हुई। सोनभद्र में निषादों की हत्या की गई। इन हत्याओं से प्रदेश थर्राया है। भाजपा ने अपने काले कारनामों से उत्तर प्रदेश को हत्या प्रदेश बना दिया है।  
     सच तो यह है कि भाजपा नेतृत्व की अहंकारी भाषा ने उत्तर प्रदेश को डुबो दिया है। पूरा राज्य डरा-सहमा हुआ है। कानून के राज्य की क्या यही परिभाषा है? जब अपराधी बेखौफ होकर जेल से भी अपना कारोबार चला रहे हैं तो फिर जनता की रक्षा कौन करेगा? क्या प्रदेश में कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार कायम है? कानपुर की घटना ने तो प्रदेश के रामराज्य और कानून की धज्जियां उड़ा दी है। यह पूरी व्यवस्था के लिए खुली चुनौती है।
     उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अपनी पोलपट्टी खुलने के डर से आनन-फानन में मुख्य अपराधी को न पकड़कर छोटी-मोटी मुठभेड़ दिखाने का नाटक करवा रही है। इससे पुलिस कर्मियों का मनोबल और गिरेगा। अपराधियों को जिन्दा पकड़ कर वर्तमान सत्ता का भंडाफोड़ होना चाहिए।


      राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को हज़रतगंज स्थित गांधी जी की प्रतिमा पर कानपुर काण्ड में शहीद पुलिस जवानों को श्रद्धांजलि देने सैकड़ों कार्यकर्ता एकत्र हुए। कार्यकर्ताओं ने पुलिस बल पर अपराधियों द्वारा किए गए हमले की निदा की और शहीदों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई। कार्यकर्ताओं ने अपराधियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी किए जाने की मांग की। जब कार्यकर्ता श्रद्धांजलि दे रहे थे तब पुलिस बल ने उन्हें रोका और बल प्रयोग किया। पुलिस ने इसके बाद कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने समाजवादी पार्टी के रविदास मेहरोत्रा पूर्वमंत्री, जयसिंह जयंत जिलाध्यक्ष, सुशील दीक्षित नगर अध्यक्ष, विजय सिंह यादव, अनीस राजा, सौरभ यादव, ताराचंद्र, इन्दल रावत, शैलेन्द्र सिंह पार्षद, देवेन्द्र सिंह जीतू पार्षद, नवीन धवन बंटी, दीपक रंजन, शब्बीर खान, कु0 पूजा शुक्ला को गिरफ्तार किया।
      पुलिस ने आज जितेन्द्र जीतू एडवोकेट, किरन पाण्डेय, अंजनी यादव, राजकुमार यादव, चन्द्रशेखर, शिवकुमार टाइगर, शरमिला महाराज, रामप्रकाश, सुरेन्द्र बाल्मीकि, वंदना चतुर्वेदी, प्रदीप पाण्डेय, रीतेश साहू, धर्मेन्द्र रावत, मुनव्वर आलम, रवि यादव, मीना यादव, गुरनाम सिंह, सिकन्दर, रंजीत रावत, जफर इकराम, चांद सिद्दीकी, रूबी खान, कोमल गुप्ता, अवनीश, नकी हैदर, राम प्रकाश दादा, अजरा मुश्ताक, महेश लोधी, मनोज चौरसिया, कहकशां नागेन्द्र यादव, राजू पाण्डेय, सतीश यादव तथा राजकिशोर आदि की भी गिरफ्तारी की। श्रद्धांजलि सभा में बाधा डालने के लिए पुलिस की समाजवादी पार्टी के नेताओं ने निंदा की।

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