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बिहार के CM नीतीश ने बुलाई JDU की बैठक, जिसमें प्रशांत किशोर ने भी की शिरकत…

पटना: पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में टीएमसी की जीत के लिए क्या प्रशांत किशोर ममता बनर्जी के साथ काम करेंगे, इसे लेकर अभी तक कुछ भी साफ नहीं हो पाया है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि अभी तक प्रशांत किशोर ने अपनी तरफ से इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है. इन सब के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई. जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने भी शिरकत की. बता दें कि नीतीश कुमार बिहार में बीजेपी के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं. बीजेपी को उम्मीद है कि वह पश्चिम बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी का पत्ता साफ कर देगी. नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने पहले ही साफ कर दिया है कि ममता बनर्जी के साथ काम करने को लेकर प्रशांत किशोर खुद ही अपनी बात आपके सामने रखेंगे.

वहीं जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू का आई-पीएसी से कोई लेना देना नहीं है. यह जेडीयू का हिस्सा भी नहीं है. ऐसे सवाल तब क्यों नहीं पूछे गए जब प्रशांत किशोर जगनमोहन रेड्डी के लिए आंध्र प्रदेश चुनाव में काम कर रहे थे. सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले नीतीश कुमार ने प्रशांत किशोर के साथ करीब घंटे भर की बैठक की थी. हालांकि, इस दौरान दोनों के बीच क्या बात हुई यह अभी तक साफ नहीं है. लेकिन ऐसी संभावना जताई जा रही है कि प्रशांत किशोर को ममता बनर्जी के लिए काम करने की अनुमति दे दी है. ध्यान हो कि राज्य में बीजेपी को विधानसभा में हराने के उद्देश्य से ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर से संपर्क किया था. इस लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी को 2014 की 34 सीटों की तुलना में पश्चिम बंगाल में 22 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. वहीं बीजेपी ने इस बार कुल 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. गौरतलब है कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने BJP-JDU के रिश्तों पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए शनिवार को पटना में कहा था कि हम पहले भी साथ थे और आगे भी साथ रहेंगे. इसके एक दिन बाद ही पटना में जनता दल यूनाइटेड (JDU) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. बैठक में एक बड़ा फैसला लिया गया कि जेडीयू बिहार के बाहर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा नहीं होगी. बैठक में हुए फैसले के अनुसार नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड बिहार के बाहर होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव अकेली लड़ेगी. पार्टी की तरफ से जारी बयान के अनुसार JDU जम्मू-कश्मीर, झारखंड, हरियाणा और दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ेगी.

जेडीयू की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर, केसी त्यागी सहित पार्टी के सभी बड़े नेता उपस्थित थे. बता दें कि JDU केंद्रीय मंत्रिमंडल का भी हिस्सा नहीं है. हाल ही में नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, जिसमें जेडीयू के 8 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली. वहीं, बीजेपी से किसी भी नेता को मंत्री नहीं बनाया गया. उधर, बैठक के बाद जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी (KC Tyagi) ने कहा कि मीडिया में चल रही हम दोनों पार्टियों के बीच की गलतफहमियों की खबर को सिरे से खारिज करते हैं. इस सरकार को हमारा बाहर से समर्थन जारी रहेगा. नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए 171 सभाएं की. हमारा गठबंधन मजबूत है और जारी रहेगा.

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने हमसे कहा था कि हमारा बहुमत है, लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि सबको बराबर मौका दिया जाए. उन्होंने कहा कि शपथ समारोह के दिन भी अमित शाह ने फोन किया था. हमने किसी का नाम नहीं दिया था. लोगों के नामों से चलने वाली चर्चाएं गलत हैं. बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने एक दिन पहले कहा था कि जेडीयू के किसी भी नेता को केंद्र (PM Modi) में मंत्रिमंडल न देने का मुद्दा अब खत्म हो गया है. उन्होंने (Nitish Kumar) कहा कि केंद्र (PM Modi) में बीजेपी की अपनी बहुमत की सरकार है और सरकार चलाने के लिए उनको किसी सहयोगी दल की जरूरत नहीं है.

लेकिन अगर भविष्य को ध्यान में रखते हुए केंद्र और बिहार सरकार साथ मिलकर काम कर रही है. बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नीतीश कुमार ने कहा कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी साथ मिलकर लड़ेगी. इस पर कोई सवाल खड़ा करना गलत होगा. नीतीश कुमार पटना में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल न करने पर आपकी राय है तो उन्होंने कहा कि जो सांकेतिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एक मंत्री शामिल किए जाने का ऑफ़र दिया गया था उसका कोई मतलब नहीं था. उसकी कोई आवश्यकता नहीं है . नीतीश ने कहा कि जो होना होता है वो प्रारंभ में होता है. उन्होंने कहा कि सरकार चलाने का जनादेश ख़ुद जनता ने उनको दिया है, तो उसमें सहयोगी दलों की क्या ज़रूरत है.

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