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प्रवासी श्रमिकों के लिए ट्रेनों के संचालन के लिए संबंधित राज्यों की अनुमति की जरूरत नहीं : रेलवे

अशाेेेक यादव, लखनऊ।  देश में कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को दखते हुए बीते 56 दिनों से पूरे देश में लॉकडाउन जारी है। लॉकडाउन के दौरान भी प्रवासी कामगारों का पलायन भी बड़े पैमाने पर जारी है।

इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने विशेष ट्रेनें चलाना शुरू किया। हालांकि कुछ राज्यों ने श्रमिक ट्रेनों को अपने यहां आने की अनुमति नहीं दी थी। अब रेलवे ने कहा है कि ट्रेनों के संचालन के लिए संबंधित राज्यों की अनुमति की जरूरत नहीं है।

गृह मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाने के लिए इन ट्रेनों को चलाने के वास्ते रेलवे के लिए मानक संचालन प्रक्रिया  जारी की।

रेलवे के प्रवक्ता राजेश बाजपेई ने कहा, ‘श्रमिक विशेष ट्रेनों को चलाने के लिए उन राज्यों की सहमति की आवश्यकता नहीं है जहां यात्रा समाप्त होनी है।’ उन्होंने कहा, ‘नई एसओपी के बाद उस राज्य की सहमति लेना अब आवश्यक नहीं है जहां ट्रेन का समापन होना है।’

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ इन ट्रेनों को मंजूरी देने के मामले में पीछे हैं। गौरतलब है कि गत एक मई से रेलवे ने 1,565 प्रवासी श्रमिक ट्रेनों का परिचालन किया है और 20 लाख से अधिक प्रवासियों को उनके गृह राज्यों में पहुंचाया है।

इससे पहले केंद्र ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश से प्रवासी मजदूरों को लाने-ले जाने के लिए रेलवे के साथ करीबी समन्वय कर और विशेष रेलगाड़ियां चलाने को कहा।

केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रशासनों को भेजे पत्र में कहा कि फंसे हुए कर्मियों के घर लौटने की सबसे बड़ी वजह कोविड-19 का खतरा और आजीविका गंवाने की आशंका है।

उन्होंने पत्र में कहा, ‘प्रवासी मजदूरों की चिंताओं को दूर करने के क्रम में, अगर निम्न कदमों को लागू किया जाता है तो मैं आभारी रहूंगा।’

गृह सचिव ने सुझाव दिया कि राज्यों एवं रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय के माध्यम से और विशेष रेलगाड़ियों का प्रबंध किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि साफ-सफाई, भोजन एवं स्वास्थ्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए ठहरने की जगहों की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।

भल्ला ने कहा कि बसों एवं ट्रेनों के प्रस्थान के बारे में और अधिक स्पष्टता होनी चाहिए क्योंकि स्पष्टता के अभाव में और अफवाहों के चलते श्रमिकों में बेचैनी देखी गई है। प्रवासी श्रमिकों के बीच महिलाओं, बच्चों एवं बुजुर्गों की खास जरूरतों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जा सकता है।

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