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‘पेटा’ का मोदी से अनुरोध, पशुओं की कुर्बानी की अनुमति देने वाले कानून को रद्द करें

नई दिल्ली। ईद उल अजहा या बकरीद के पहले पशु अधिकार संस्था पेटा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कानून के एक प्रावधान को रद्द करने का अनुरोध किया है जिसके तहत धार्मिक मकसद से पशुओं की कुर्बानी देने की अनुमति दी गयी है। पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया ने पशु क्रूरता रोकथाम कानून (पीएसए), 1960 की धारा 28 को रद्द करने की मांग करते हुए कहा है कि इस अधिनियम में ऐसा कुछ प्रावधान नहीं है कि किसी भी समुदाय के धर्म के लिए अनिवार्य रूप से से किसी भी जानवर को मारना अपराध होगा।

पेटा इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मणिलाल वल्लियते ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा है, ”मैं पेटा इंडिया के 20 लाख से अधिक सदस्यों और समर्थकों की ओर से आपसे यह अनुरोध करता हूं कि आप पशु क्रूरता रोकथाम कानून, 1960 की धारा 28 को हटा दें, जिसके तहत किसी भी जानवर को धर्म के लिए किसी भी तरह से मारे जाने की अनुमति दी गयी है।”

पत्र में कहा गया, ”हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि धारा 28 ‘अहिंसा’, ‘करुणा’ की भूमि की भावना से अलग है, और भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 ए (जी) के तहत सभी जीवित प्राणियों के लिए करुणा रखना जरूरी है।” पेटा के अधिकारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा यह माना गया है कि यह अनुच्छेद राष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।

पत्र में कहा गया है कि यह प्रावधान (धारा 28) पीसीए कानून के उद्देश्य के खिलाफ है, क्योंकि यह “जानवरों को अनावश्यक दर्द और पीड़ा देता है और अब एक आधुनिक समाज में यह पुराना हो गया है।” पेटा ने कहा जिस प्रकार मानव बलि को हत्या माना जाता है, उसी प्रकार, पशु बलि की पुरातन प्रथा, जैसे कि उनकी गर्दन मरोड़ना, उनका सिर काटना, उन्हें मौत के घाट उतार देना ऐसी क्रियाएं हैं कि इन्हें दंडनीय क्रूरता के तौर पर देखना चाहिए।

पेटा इंडिया ने कहा कि उसने अप्रैल में भारतीय जीव जंतु कल्याण बोर्ड (एडब्लयूबीआई) को अपनी सिफारिशें सौंपी थीं, जिसमें पशु बलि पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया। पेटा ने कहा कि उसने पुलिस महानिदेशकों के साथ-साथ एडब्ल्यूबीआई को भी पत्र भेजे हैं, जिसमें उनसे ईद उल अजहा के दौरान जानवरों के परिवहन और पशु वध की अवैध प्रथाओं को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठाने का आग्रह किया गया है।

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