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दिल्ली सचिवालय में हुई कैबिनेट की वीडियो रिकॉर्डिंग को सार्वजनिक न किये जाने को अंशु प्रकाश ने केजरीवाल से किया अनुरोध

नई दिल्ली: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने मंगलवार को दिल्ली सचिवालय में हुई कैबिनेट की वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई थी. ये वही बैठक थी, जिसमें कथित थप्पड़ कांड के बाद मुख्य सचिव अंशु प्रकाश और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहली बार आमने-सामने आए थे. मुख्य सचिव ने गृह सचिव के ज़रिए केजरीवाल को लिखित संदेश भिजवाया कि इसको जारी ना करें. दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के निर्देश पर गृह सचिव मनोज परिदा ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर कहा कि ‘कैबिनेट की बैठक के दौरान देखा गया कि दो कैमरा कैबिनेट की कार्यवाही रिकॉर्ड करने के लिए लगाए गए हैं. कैबिनेट की कार्यवाही सामान्यतः गोपनीय और खुफिया होती हैं, जिससे कि हर कोई अपने विचार खुलकर व्यक्त कर सके.’ उन्होंने कहा, ‘बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मुझे बताया कि इस रिकॉर्डिंग की फुटेज को मीडिया में जारी करेंगे. मेरे ख्याल से इसको सार्वजनिक करने की ज़रूरत नहीं. ओरिजिनल फुटेज को सामान्य प्रशासन विभाग को संभालकर रखने के लिए दिया जाए. मुख्य सचिव के निर्देश पर ये चिट्ठी जारी हो रही है.’ कैबिनेट के कैमरा रिकॉर्डिंग से कुछ सवाल उठते हैं. सवाल है कि केजरीवाल सरकार को डर था कि कहीं मुख्य सचिव फिर कोई आरोप लगाकर सरकार ने फंसा दें इसलिए वीडियो रिकॉर्डिंग का सहारा लिया गया? अगर रिकॉर्डिंग हो गई तो मुख्य सचिव को रिकॉर्डिंग के सार्वजनिक हो जाने में क्या डर? क्यों वो नहीं चाहते कि केजरीवाल सरकार इसको सार्वजनिक करे?

इस बैठक में मौजूद रहे दिल्ली सरकार के मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने बताया कि ‘अधिकारियों ने कहा था कि इसको जनता के बीच ना डालें. इस बात को मंत्रिपरिषद ने मान लिया है. वो मामला अब खत्म है.’ बता दें कि केजरीवाल सरकार की ऐसी तैयारी चल रही है कि मंत्रियों और अधिकारियों की हर बैठक का लाइव वेबकास्ट कराया जाए. यही नहीं हर फ़ाइल को किस मंत्री या अधिकारी ने अपने पास कितना समय रखा और क्या फ़ाइल नोटिंग की, इसको भी सरकार की वेबसाइट पर डाला जाए.

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