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जस्टिस लोया केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बताया न्याय का काला दिन , खुद की हत्या की आशंका : हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीजी कोलसे पाटील

मुंबई : जस्टिस लोया केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को काला दिन बताते वाले बंबई हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीजी कोलसे पाटील ने खुद की हत्या की आशंका जताई है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बीते रविवार (29 अप्रैल , 2018) को जस्टिस पाटील ने कहा कि सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ की सुनवाई करने वाले जज बीएस लोया की संदिग्ध हालातों में मौत हो गई। लोया के अलावा उनके दो राजदारों एडवोकेट श्रीकांत खंडालकर और रिटायर्ड जज प्रकाश थोम्बरे की भी हत्या की गई है। पाटील का दावा है कि वो कोई हादसा नहीं था। इसलिए अगला नंबर उनका है। पाटील कहते हैं कि वह अन्याय के खिलाफ सच कहने से फिर भी पीछे नहीं हटेंगे। सच कहने से कभी नहीं डरेंगे। दरअसल बंबई हाईकोर्ट के पूर्व जज ‘अलायंस फॉर जस्टिस एंड पीस’ द्वारा कराए जा रहे ‘जज कन्वेंशन’ में बोल रहे थे। जिसका विषय ‘लोकतंत्र की सुरक्षा’ था। इस दौरान पाटील ने कहा कि उन्हें लगातार डराने की कोशिश की जाती रही है। उनके साथ कभी भी कुछ भी हो सकता है।इस दौरान जस्टिस पाटील ने आगे कहा, ‘भारत में अल्पसंख्यक, आदिवासी, दलित और गरीब बुरी तरह डरे हुए हैं। उनके मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है। सांप्रदायिक ताकतों ने लोकतंत्र के सभी केंद्रों पर कब्जा कर लिया है। मगर मुल्क का सविंधान सभी को बराबर अधिकार देता है। कहीं भी अन्याय हो तो उसके खिलाफ लोग आवाज उठाएं। उसका विरोध करें। सच बोलने से बिल्कुल भी ना डरें।’ जस्टिस पाटील ने आगे कहा कि जब जनता ही अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर आ जाएगी तो जेल भी कम पड़ जाएंगी। लोग संवैधानिक दायरे में रहकर अपना अभियान चलाएं। मैं भी देशभर में लोकतंत्र बचाओ, देश बचाओं आंदोलन चला रहा हूं।

जस्टिस लोया शोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले की सुनवाई कर रहे थे। तब एक दिसंबर 2014 को उनकी मौत हो गई थी। मौत की वजह दिल का दौरा बताया ग। हालांकि लोया की मौत की परिस्थितियों पर उनकी बहन अनुराधा ने सवाल उठाया था और उसकी स्वतंत्र जांच की मांग की थी। उन्होंने कारवां पत्रिका को बताया था कि ऐसी कई वजहें हैं जिनसे उन्हें उनके भाई की मौत से जुड़ी परिस्थितियों पर संदेह है। इसके बाद कोर्ट में पूरे में मामले की स्वतंत्र जांच की मांग के लिए पीआईएल दाखिल की गई थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया।

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