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चुनाव बाद लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक, कई अहम फैसलों पर लगाई गई मुहर

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बाद कैबिनेट की पहली बैठक मंगलवार को लोकभवन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई। इसमें कई अहम फैसलों पर सरकार ने अपनी मुहर लगा दी। इसमें जेवर एयरपोर्ट के लिए डेवलपर के चयन से लेकर अमेठी में युवाओं के लिए खास तोहफा शामिल रहा। वहीं छुट्टा जानवरों की समस्या से निपटने के लिए भी उपाए किए गए हैं। साथ ही बागपत की रमाला चीनी मिल को अब सरकार ने खुद के पैसे से बनवाने का भी निर्णय लिया है। बैठक में गौतमबुद्धनगर में जेवर के निकट नोएडा इंटरनेशनल ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट के डवलपर चयन के लिए बिड डाक्यूमेंट को मंजूरी दी गई।

इससे विकासकर्ता चयन के लिए ग्लोबल टेंडर का रास्ता साफ हो गया। सरकार ने 30 मई को ग्लोबल टेंडर जारी करने का निर्णय लिया है राज्य सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग क्रियान्वयन कमेटी की सिफारिश पर बिड (आरएफ क्यू कम आरएफ पी) डॉक्यूमेंट व ड्राफ्ट कंसेशन एग्रीमेंट डॉक्यूमेंट को मंजूरी दे दी है। उन्होंने दावा किया कि सरकार यह टेंडर काफी कम समय में जारी करने की कार्यवाही पूरी करने में सफल हुई है। अमूमन इसमें 7 से 8 साल लगते हैं, लेकिन सरकार ने यह काम दो वर्ष में पूरा कर लिया। एयरपोर्ट की स्थापना पीपीपी मॉडल पर होगी।

इसके विकासकर्ता के चयन का ग्लोबल टेंडर 30 मई को जारी किया जाएगा। इसमें पूरी दुनिया से डवलपर शामिल होंगे। छह महीने में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर जनवरी 2020 तक विकासकर्ता का चयन कर लिया जाएगा। इसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अमेठी के युवाओं को लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को हराने और भाजपा की स्मृति ईरानी को जिताने के बाद पहला बड़ा तोहफा दिया है। अब अमेठी के युवाओं को अपनी डिग्री, मार्क्सशीट, सर्टिफिकेट के लिए 250 किमी दूर छत्रपति शाहूजी महराज विश्वविद्यालय कानपुर के चक्कर नहीं काटने होंगे। अमेठी जिले के सभी डिग्री कॉलेज अब पड़ोस की डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से जुड़ जाएंगे। युवाओं को सभी सुविधाएं अवध विवि से ही मिल सकेंगी।

अमेठी से अवध विश्वविद्यालय की दूरी करीब 90 किमी. ही है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कैबिनेट ने यूपी राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम-1973 में संशोधन का निर्णय लिया है। इसके तहत छत्रपति शाहूजी महाराज विवि कानपुर के क्षेत्राधिकार में स्थित अमेठी जिले को डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विवि अयोध्या के क्षेत्राधिकार में किया जाएगा। इसके लिए यूपी प्रदेश राज्य विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश-2019 लागू करने और इस अध्यादेश के प्रतिस्थानी विधेयक के प्रख्यापन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गई है। प्रदेश कैबिनेट ने छुट्टा गोवंश की समस्या के समाधान से जुड़े काम को तेज करने के लिए गो संरक्षण एवं संवर्धन कोष नियमावली-2019 को मंगलवार को मंजूरी दे दी।

नियमावली में इस कार्य के लिए कार्पस फंड जुटाने और उसके खर्च से जुड़े विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं। प्रदेश में छुट्टा जानवरों की समस्या गंभीर बनी हुई है। लोकसभा चुनाव के दौरान पूरे प्रदेश में यह समस्या सामने आई है। सरकार ने पहली कैबिनेट बैठक में ही इस समस्या के स्थायी समाधान से जुड़े काम को तेज करने का फैसला किया है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि यह नियमावली प्रदेश स्तरीय अनुश्रवण, मूल्यांकन एवं समीक्षा समिति के निर्णय के अनुसार तैयार की गई है। इसके अंतर्गत अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल पर संरक्षित पशुओं के भरण-पोषण के लिए आवश्यक धन की व्यवस्था की जा सकेगी।

उन्होंने बताया कि मशीनीकरण के कारण स्वदेशी, अवर्णित गोवंश के नर पशुओं का उपयोग कृषि कार्य मेें किए जाने की परिपाटी लगभग खत्म हो गई है। इससे पशु स्वामी नर गोवंश को बेसहारा छोड़ देते हैं। ये निराश्रित गोवंश अनियंत्रित प्रजनन से अनुपयोगी व कम उत्पादकता के गोवंश की उत्पत्ति करते हैं जो निराश्रित पशुओं की संख्या में बढ़ोतरी करते हैं उन्होंने बताया कि निराश्रित व बेसहारा गोवंश (नर व मादा)की समस्या के निराकरण के लिए इसी वर्ष जनवरी में प्रदेश के सभी ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों-ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका व नगर निगम में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना व संचालन नीति जारी की गई थी।

प्रदेश स्तरीय अनुश्रवण, मूल्यांकन व समीक्षा समिति की संस्तुति पर इससे जुड़ी व्यवस्था के संचालन के लिए कार्पस फंड बनाने का निर्णय किया गया है। प्राविधिक शिक्षा व नागरिक उड्डयन विभाग ने वित्त वर्ष 2018-19 में विकास कार्यों के लिए एकमुश्त बजट प्रावधान वाली रकम के खर्च का ब्योरा कैबिनेट के सामने पेश किया। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्राविधिक शिक्षा विभाग ने एकमुश्त बजट प्रावधान के तहत 66.75 करोड़ और नागरिक उड्डयन विभाग ने 124 करोड़ रुपये खर्च करने की जानकारी कैबिनेट को दी है। कैबिनेट ने यूपी गन्ना, आपूर्ति, विनियमन एवं क्रय अधिनियम- 1953 की धारा-18 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इससे अधिनियम में ‘कमीशन’ शब्द ‘अंशदान’ हो जाएगा। गन्ना विकास परिषदों का इस बदलाव से टीडीएस कटना भी बंद हो जाएगा।

कैबिनेट ने कमीशन के स्थान पर अंशदान शब्द रखने के लिए विधायी संशोधन, अध्यादेश से करने का फैसला करते हुए इसे मंजूरी दे दी है। विधान मंडल के आगामी सत्र में इसे विधेयक के रूप में रखे जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है। अब तक किसी फैक्टरी या गुड़, राब, खांडसारी चीनी निर्माण करने वाली इकाई के मालिक द्वारा खरीदे गए गन्ने के प्रत्येक एक मन के हिसाब से कमीशन तय करने की व्यवस्था है। यह कमीशन सहकारी गन्ना विकास समितियों व गन्ना विकास परिषदों के बीच बांटा जाता है। वर्तमान में 75 फीसदी समिति और 25 प्रतिशत परिषद को मिलता है। यह इनकी आय का स्रोत होता है। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि वित्त अधिनियम में एक अप्रैल 2003 को हुए संशोधन के बाद गन्ना विकास परिषदें लोकल अथॉरिटी की परिभाषा से बाहर हो गईं।

इससे गन्ना विकास परिषदें आयकर छूट से वंचित हो गईं और आयकर अधिनियम-1961 के अनुसार कमीशन के नाम से प्राप्त समस्त भुगतान पर टीडीएस कटने लगा। इससे परिषदों को आर्थिक हानि हो रही है। इस संशोधन से टीडीएस कटना बंद हो जाएगा। प्रदेश कैबिनेट ने बागपत जिले की रमाला सहकारी चीनी मिल में 5,000 टन प्रतिदिन गन्ना पेराई क्षमता की चीनी मिल व 27 मेगावाट क्षमता के को-जेनरेशन प्लांट की स्थापना के लिए शत-प्रतिशत रकम राज्य सरकार के बजट से देने का फैलसा किया है। रमाला सहकारी चीनी मिल्स लि. को आरबीआई के कुछ दिशानिर्देशों की वजह से वित्तीय संस्थाओं से ऋण न मिल पाने की वजह से सरकार ने यह निर्णय किया है।

वर्तमान वित्तीय वर्ष इस परियोजना के लिए 96 करोड़ 14 लाख 49 हजार खर्च कर परियोजना का काम पूरा कराया जाएगा। पीआईबी ने इस प्रोजेक्ट पर 302 करोड़ 25 लाख 53 हजार रुपये खर्च का अनुमान लगाया था। पर, टेंडर के बाद इसकी संशोधित लागत 330 करोड़ 14 लाख 49 हजार रुपये आंकलित हुई है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में मिल के विस्तारीकरण, आधुनिकीकरण व को.जेनरेशन के वित्त पोषण के लिए 84 करोड़ रुपये का ऋण के रूप में जारी किया गया है। रमाला चीनी मिल घाटे में होने की वजह से वित्तीय संस्थाएं ऋण नहीं दे रही हैं। वित्तीय वर्ष 2018-19 में 150 करोड़ रुपये ऋ ण के रूप में जारी किए गए हैं। इस तरह अब तक 234 करोड़ रुपये ऋ ण के रूप में जारी किया जा चुका है।

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