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एक टीम को अपने विरोधी के अनुसार अपना खेल खेलना चाहिए। खेल के दौरान स्ट्राइक पर जोर देना चाहिए और 0 प्वाइंट से शूट करने की कोशिश करनी चाहिए

ग्वालियर: लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान, ग्वालियर में खेल प्रबंधन व कोचिंग विभाग द्वारा वाॅलीबाल, बास्केटबाॅल व जिम्नास्टिक में “कोचिंग, ट्रेनिंग व आॅफिसिएटिंग” पर आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के चौथे  दिन शनिवार (24.03.2018) को परमदीप तोमर ने बास्केटबाॅल खेल के दौरान खेल के विभिन्न अवस्थाओं के लिए रणनीतिक संरचना पर चर्चा की। तोमर ने प्रतिभागियों से कहा कि मैच के पूर्व एक खिलाड़ी को वजन प्रशिक्षण सत्र को नजरअंदाज करना चाहिए। एक खिलाड़ी को सामरिक प्रशिक्षण, पर्याप्त आराम व अपने भोजन का विशेष ध्यान देना चाहिए। किसी मैच में विजय हासिल करने के लिए एक खिलाड़ी को व्हद विचार व सही योजना को अपनाना चाहिए। एक कोच को अपने निणर्यों पर विश्वास होना चाहिए अन्यथा इसका परिणाम टीम के प्रदर्शन पर दिखता हैं। एक कोच जब तक खिलाड़ी में कमी नहीं निकाल लेता खिलाड़ी अपने खेल में सुधार नहीं कर सकता। तोमर ने प्रतिभागियों से कहा कि एक टीम को अपने विरोधी के अनुसार अपना खेल खेलना चाहिए। खेल के दौरान स्ट्राइक पर जोर देना चाहिए और 0 प्वाइंट से शूट करने की कोशिश करनी चाहिए।

वाॅलीबाल में शैलेन रामडु ने मिनी वाॅलीबाल व वाॅलीबाल के संबध पर अपने व्याख्यान में बच्चों के मध्य वाॅलीबाल को लोकप्रिय बनाने के लिए इसे मनोरंजक बनाने पर जोर दिया। रामडु ने बच्चों को ओवरहैंड पास, ब्लाकिंग, फ्री हैंड एक्ससाइज व केयर एक्सरसाइज मे आसानी से प्रशिक्षित करने के लिए शिक्षकों व कोच से इसे मनोरंजक बनाने को कहा। उन्होंने बच्चों के कौशल के आधार पर कुछ क्लबों को आरंभ करने की बात भी कही।

 

काॅमन सत्र अवनीश उपाध्याय ने लिया जिसमें उन्होंनें डोपिंग कन्ट्रोल इन स्पोट्र्स पर व्याख्यान दिया। डोपिंग विश्व में प्राचिन समय से चली आ रही हैं यह कोई नया विषय नहीं हैं। 1960 से इस क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव दिख रहा हैं जिसमें खिलाड़ी अपने प्रदर्शन को बेहतर करने के लिए प्रतिबंधित दवाओं व ड्रग्स का सेवन करते पाए गए। डोपिंग आम जीवन में सेहत के हिसाब दवा के रूप में ठीक हैं परंतु खेलों में इसका सेवन गलत हैं। डोपिंग के साइड इफेक्टस भी हैं जो कि एक खिलाड़ी को किसी भी हद तक नुकसान पहुंचा सकता हैं। विश्व में वाडा की स्थापना 1999 में इसी उद्देश्य से की गयी जिसके द्वारा खेलों में प्रतिबंधित दवाओं के सेवन को रोकना, नैतिक व निष्पक्ष खेल को प्रोत्साहित करना भी शामिल हैं। भारतीय परिदृश्य में एनडीटीएल की मदद से नाडा की स्थापना 2009 में समान उद्देश्य के लिए की गयी। एनडीटीएल की विश्व में कुल 32, एशिया में कुल 6 व भारत में एक लैब टेस्टिंग के लिए स्थापित की गयी हैं। अपने व्याख्यान के अंत में उपाध्याय ने प्रतिभागियों से कहा कि खिलाड़ी को प्रतिबंधित दवाओं के स्थान पर न्यूट्रिशनल फुडस पर ध्यान देना चाहिए।

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