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किसानों का सरकार को दो-टूक जवाब, शर्तों के साथ किसी भी सूरत में बातचीत नहीं होगी

अशाेक यादव, लखनऊ। किसानों का आंदोलन दिन-ब-दिन नया मोड़ लेता जा रहा है। नए कृषि कानूनों को लेकर छिड़ी बहस अब आंदोलन के मैदान पर आ चुकी है। किसानों को राजी करने के सरकार के सारे प्रयास फिलहाल तो विफल होते ही नजर आ रहे हैं। कल देर शाम गृहमंत्री अमित शाह ने किसानों से बातचीत करने की अपील की थी। अमित शाह की इस अपील पर किसानों ने अपना दो-टूक जवाब सरकार तक पहुंचा दिया है।

किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकराकर दिल्ली को चारों तरफ से घरने की चेतावनी देते हुए कहा कि वह बिना किसी शर्त के साथ सरकार से बातचीत करना चाहते हैं। किसान संगठनों ने रविवार को यहां सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सर्वसम्मति से सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि बुराड़ी का मैदान आंदोलन की जगह नहीं है बल्कि एक खुली जेल है इसलिए वहां किसी भी हाल में नहीं जाएंगे। शर्तों के साथ किसी भी सूरत में बातचीत नहीं होगी।

इसके साथ ही किसानों ने एक दिसंबर से सभी राज्यों में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। विरोध कर रहे किसान संगठनों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आज यहां जारी एक बयान में कहा कि सरकार को उच्च स्तर पर किसानों से बातचीत करनी चाहिए। समिति ने कहा कि किसानों ने एक दिसंबर से सभी राज्यों में भी विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया है।

बयान में कहा गया है कि किसान एकजुट हैं और एक सुर में केन्द्र सरकार से तीन किसान विरोधी, जनविरोधी कानूनों और तथा बिजली विधेयक 2020 की वापसी की मांग कर रहे हैं। किसान शांतिपूर्वक व संकल्पबद्ध रूप से दिल्ली पहुंचे हैं और अपनी मांग हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। पंजाब और हरियाणा से भारी संख्या में किसान सिंघु और टिकरी बार्डर पर पहुंच रहे हैं।

उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के किसानों की गोलबंदी भी सिंघु बार्डर पर हो रही है। किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों और सवालों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार की कार्यप्रणाली ने अविश्वास और भरोसे की कमी पैदा की है। किसान संगठनों का कहना है कि अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगानी बंद कर देनी चाहिए।

किसान नेताओं ने साफ तौर पर कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को मंच पर अनुमति नहीं दी जाएगी। किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी मांगों और सवालों पर कोई ध्यान नहीं दिया है। सरकार की कार्यप्रणाली ने अविश्वास और भरोसे की कमी पैदा की है। किसान संगठनों का कहना है अगर सरकार किसानों की मांगों को सम्बोधित करने पर गम्भीर है तो उसे शर्तें लगानी बंद कर देनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि उनके पास चार महीनों का राशन समेत सारे इंतेजाम हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली के पांच महत्वपूर्ण आने जाने वाले मार्गों को पूरी तरह से जाम किया जाएगा। पंजाब में किसान पिछले दो महीने से संघर्ष कर रहे हैं और पिछले चार दिनों से दिल्ली चलो अभियान के तहत किसान विभिन्न मार्गों से दिल्ली की तरफ बढ़ रहे हैं।

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