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प्रधानमंत्री मोदी ने की ‘अमृत महोत्सव’ की शुरुआत, 386 किलोमीटर के दांडी मार्च को किया रवाना

अशाेक यादव, लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ से सम्बंधित ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम के राष्ट्रव्यापी आयोजन की आज यहां शुरुआत की और ऐतिहासिक दांडी मार्च की स्मृति में अहमदाबाद से नवसारी के दांडी तक 386 किलोमीटर की पदयात्रा को भी झंडी दिखा कर रवाना किया।

इस मौक़े पर उन्होंने आज़ादी के संग्राम की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि अपने गौरवशाली अतीत पर गर्व करने वाले भारत की क्षमता और प्रतिभा की गूंज आज हर तरफ है।

उन्होंने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में यह भी कहा कि आने वाले समय में भारत एक बार फिर विश्वगुरु बन कर दुनिया को रास्ता दिखाएगा।

मोदी ने कहा कि आज हम इतिहास बनते देख रहे हैं और इसका हिस्सा भी बन रहे हैं।

15 अगस्त 2022 को आज़ादी के 75 साल पूरा होने से 75 सप्ताह पूर्व शुरू हुआ अमृत महोत्सव 2023 के 15 अगस्त तक चलेगा।

इसका आयोजन जलियांवाला बाग़, सेल्युलर जेल समेत देश भर में आज़ादी की लड़ाई से जुड़े कई स्थानों पर हो रहा है। वह आज़ादी के संग्राम में आहुति देने वालों को नमन करते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के पास गौरवशाली विरासत और गर्व करने वाले अतीत का विशाल भंडार है और साथ ही आज़ाद भारत की गौरवान्वित करने वाली प्रगति भी है।

स्वाभिमान और बलिदान की परम्परा से अगली पीढ़ी को भी अवगत करना है क्योंकि राष्ट्र का भविष्य तभी उज्जवल होता है जब वह अपने अतीत के अनुभवों से जुड़ा रहता है।

इस मौक़े पर उन्होंने आज़ादी की लड़ाई के नायकों पंडित नेहरु, सरदार पटेल आदि के साथ ही साथ कई अन्य का स्मरण किया।

मोदी ने कहा कि आज दुनिया के हर मंच पर भारत के क्षमता और प्रतिभा की गूंज है।

आज भारत आगे बढ़ रहा है।

कोरोना काल में यह सिद्ध हो गया है।

भारत के पास अपना टीका है और यह मानववता को इस महामारी से बाहर निकालने में लगा है।

किसी को भी दुःख नहीं देने वाला भारत सबका दुःख दूर करने में लगा है।

दुनिया के देश इस पर भरोसा कर रहे हैं। यह एक सूर्योदय काल है।

आज़ादी के 75 वें साल के आयोजन के मौक़े पर उन्होंने लोगों, छात्रों, शिक्षण संस्थानों से भी इससे जुड़ने और इसके बारे में जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।

अपने सम्बोधन में दांडी यात्रा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में नमक वफ़ादारी और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

मोदी ने इससे पहले कार्यक्रम स्थल के निकट स्थित साबरमती आश्रम में महात्मा गांधी की प्रतिमा और इसके परिसर में उनके तत्कालीन आवास हृदय कुंज में उनके तैलचित्र पर पारम्परिक रूप से सूत की माला से माल्यार्पण किया।

उन्होंने आश्रम की आगंतुक पुस्तिका में लिखा कि आश्रम आकर वह धन्यता का अनुभव करते हैं, त्याग तपस्या की भावना जागती है और राष्ट्र निर्माण का संकल्प मज़बूत होता है।

महोत्सव के दौरान यहां मुख्य कार्यक्रम में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया जिसमें देश भर के कलाकारों ने अलग अलग भाषाओं में मनमोहक प्रस्तुतियां भी दीं।

आज़ादी के आंदोलन के दौरान इसका एक प्रमुख केंद्र रहे अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से ही गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को ब्रिटिश हूकूमत के नमक क़ानून को तोड़ने ले लिए दक्षिण गुजरात के दांडी तक की यात्रा की थी जो उसी साल छह अप्रैल को पूरी हुई थी। आश्रम में आयोजित मुख्य कार्यक्रम के साथ ही स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े राज्य के 6 जिलों में विभिन्न 75 स्थलों पर भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

गुजरात में महात्मा गांधी जी की कर्मभूमि और स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र रहे अहमदाबाद से प्रधानमंत्री ने अमृत महोत्सव की औपचारिक शुरुआत करायी। इस अवसर राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, केंद्रीय पर्यटन एवं सांस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल, सांसद और गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल, आश्रम के न्यासी कार्तिकेय साराभाई, अमृत मोदी और डॉ. सुदर्शन आयंगर उपस्थित थे।

राजकोट, मांडवी (कच्छ), पोरबंदर, वडोदरा, बारडोली (सूरत) और दांडी (नवसारी) जैसे स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े चिरस्मरणीय स्थलों पर देशभक्ति के कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसके अलावा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम, साइकिल-बाइक रैली, पदयात्रा, वृक्षारोपण और क्राफ्ट बाजार जैसे रचनात्मक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

राजकोट में उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल अमृत महोत्सव में उपस्थित रहे।

राजकोट में गांधी जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा ली थी।

जूनागढ़ को नवाबी शासन से आजाद कराने के लिए बनाए गए आरजी हुकूमत ने राजकोट से ही आजाद जूनागढ़ फौज की भर्ती शुरू की थी। राजकोट का मौजूदा सर्किट हाउस तत्कालीन आरजी हुकूमत का मुख्यालय बना था। राजकोट वहां की राष्ट्रीय शाला में गांधी जी का ठहराव तथा ढेबरभाई, रसिकभाई परीख और मनुभाई पंचोली जैसे सेनानियों के संघर्ष और कस्तुरबा गांधी की जीवन स्मृतियों से भी जुड़ा है।

वडोदरा राष्ट्रीय चेतना के प्रेरक और तत्व चिंतक महर्षि अरविंद घोष की कर्मभूमि रही है।

उन्होंने गुप्त रूप से क्रांतिकारियों और स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरणा दी थी, जिसके परिणामस्वरूप तत्कालीन वडोदरा राज में स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों को विस्तार मिला। वडोदरा के नवलखी मैदान में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी की अध्यक्षता में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया।

सूरत के बारडोली में सरदार वल्लभभाई पटेल ने किसानों पर लगान वृद्धि के विरोध में सत्याग्रह कर अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया था।

इस सत्याग्रह की सफलता के बाद ही उन्हें ‘सरदार’ की उपाधि दी गई।

वहां शिक्षा मंत्री भूपेन्द्रसिंह चूड़ास्मा की उपस्थिति में आजादी का अमृत महोत्सव आयोजित किया गया।

पोरबंदर यानी बापू का जन्म स्थान भी दांडी यात्रा की स्मृति से जुड़ा है।

दांडी यात्रा की व्यवस्थापक टुकड़ी में पोरबंदर के स्वतंत्रता सेनानी नगीनदास मोदी शामिल थे। यह टुकड़ी पदयात्रियों के रात्रि ठहराव, भोजन और नास्ते आदि की व्यवस्था करने के लिए आगे चलती थी। वहां बापू के पैतृक आवास कीर्ति मंदिर में मंत्री आर.सी. फलदु की उपस्थिति में यह महोत्सव आयोजित हुआ।

इस अवसर पर कीर्ति मंदिर से चौपाटी तक अलग-अलग पदयात्रा और साइकिल यात्रा का भी आयोजन हुआ। नवसारी के दांडी में बापू ने नमक कानून और अंग्रेजों के अहंकार दोनों को तोड़ दिया था, जिसके चलते पूरे देश में अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था। नवसारी की ऐतिहासिक भूमि पर दांडी प्रार्थना मंदिर में सहकारिता, खेल, युवा और सांस्कृतिक मामले तथा परिवहन राज्य मंत्री ईश्वरसिंह पटेल की अध्यक्षता में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया।

गांधी जी ने दांडी के समुद्र तट पर एक चुटकी नमक उठाकर कहा था, ‘इसके साथ मैं ब्रिटिश साम्राज्य की नींव को हिला रहा हूं।’ गांधी जी के इस नमक सत्याग्रह से अंग्रेजी शासन को जबर्दस्त धक्का लगा था। कच्छ के क्रांतिकारी श्यामजी कृष्ण वर्मा के जन्म स्थान मांडवी में राज्य मंत्री वासणभाई अहिर की उपस्थिति में कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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