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अब अंतरिक्ष में जीवाणुओं की हरकतों का चल सकेगा पता

बेंगलुरु। भारतीय विज्ञान संस्थान और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसंधानकर्ताओं ने एक सर्व सुविधायुक्त, आत्मनिर्भर एवं मॉड्यूलर उपकरण बनाया है जो सूक्ष्मजीवों को विकसित करने में मददगार होगा। इस उपकरण की मदद से वैज्ञानिक बाह्य अंतरिक्ष में जीव विज्ञान संबंधी प्रयोग करने में सक्षम हो सकेंगे।

बेंगलुरु स्थित आईआईएससी की ओर से जारी एक वक्तव्य में बताया गया कि ‘एक्टा एस्ट्रोनॉटिका’ में प्रकाशित अध्ययन में अध्ययन दल ने दिखाया कि ‘स्पोरोसारसिना पास्चराई’ नाम के जीवाणु के विकास पर नजर रखने और उसे उत्प्रेरित करने के लिए उपकरण का किस तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है, वह भी इस तरह जिसमें मानवीय दखल कम से कम हो।

इसमें बताया गया कि इस तरह के जीवाणु कठोर पर्यावरण में किस प्रकार का व्यवहार करते हैं, यह समझने पर मानव अंतरिक्ष मिशन मसलन इसरो द्वारा नियोजित भारत के पहले मानव वाले अंतरिक्ष यान ‘गगनयान’ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल पाएगी। इस अध्ययन से जुड़े वरिष्ठ अध्ययनकर्ता एवं मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्राध्यापक कौशिक विश्वनाथन ने कहा कि इसके पूरी तरह से सर्व सुविधायुक्त होने की जरूरत है, जिसकी किसी और पर निर्भरता नहीं हो।

इसके अलावा सामान्य प्रयोगशाला की तरह आप समान संचालन परिस्थितियों की उम्मीद नहीं कर सकते।” आईआईएससी और इसरो के दल द्वारा तैयार किए गए उपकरण में जीवाणु विकास पर नजर रखने के लिए एलईडी और फोटोडाओड सेंसर है। इसमें भिन्न प्रयोगों के लिए विविध कक्ष हैं और प्रत्येक कक्ष से डेटा एकत्रित और सुरक्षित किया जाएगा।

 
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