Breaking News

सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत: उत्तराखंड सामरिक लिहाज से संवेदनशील है, ऐसे में NRC होना जरूरी है

देहरादून : भाजपा शासित कई राज्यों के असम की तर्ज पर एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) लागू करने के एलान के बाद अब उत्तराखंड भी इसे लागू करने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को एक कार्यक्रम के दौरान एनआरसी को लागू करने के संकेत दिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सामरिक लिहाज से संवेदनशील है, ऐसे में एनआरसी होना जरूरी है। मंत्रिमंडल में चर्चा कर इसे लागू करने को लेकर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। एनआरसी का उद्देश्य देश के वास्तविक नागरिकों को दर्ज करना और अवैध प्रवासियों की शिनाख्त करना है। उत्तराखंड में बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं के ठिकाने होने की बात होती रही है। ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जनपद इसको लेकर संवेदनशील बताए जाते हैं। हालांकि अधिकारिक तौर पर ऐसा कोई आंकड़ा तैयार नहीं किया गया कि कितने अवैध प्रवासी प्रदेश में रह रहे हैं। असम में यह 1951 से लागू है, जिसके आधार पर वहां अगस्त 2019 में मूल नागरिकों की अंतिम सूची जारी कर अवैध प्रवासियों को रजिस्टर से बाहर किया गया है।

इसके बाद हरियाणा, उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र सरकार ने भी एनआरसी लागू करने की बात कही है। अब उत्तराखंड भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के एनआरसी लागू करने के संकेत देने से प्रदेश में सियासी गहमागहमी तेज हो गई है। हालांकि अभी मामला कैबिनेट में आना है, लेकिन मुख्यमंत्री ने जिस तरह सीमांत राज्य होने के कारण यहां एनआरसी को जरूरी बताया है, उससे साफ है कि जल्द इसपर मुहर लग सकती है। एनआरसी के माध्यम से विदेशी नागरिकों की पहचान हो जाएगी, इससे भारतीय नागरिक और अप्रवासी नागरिकों की पहचान के बाद उन्हें बाहर भेज दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने 1986 में सिटीजनशिप एक्ट में संशोधन कर असम के लिए विशेष प्रावधान किया था, लेकिन भाजपा सरकार सीमांत क्षेत्र उत्तराखंड भी एनआरसी लागू कर नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करने का दांव चल सकती है। एनआरसी का उद्देश्य देश के वास्तविक नागरिकों को दर्ज करना और अवैध प्रवासियों की शिनाख्त करना है। असम में ऐसा पहली बार साल 1951 में पंडित नेहरू की सरकार द्वारा असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोपीनाथ बारदोलोई को शांत करने के लिए किया गया था। बारदोलाई विभाजन के बाद बड़ी संख्या में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए बंगाली हिंदू शरणार्थियों को असम में बसाए जाने के खिलाफ थे। साल 1980 के दशक में वहां के कट्टर क्षेत्रीय समूहों द्वारा एनआरसी को अपडेट करने की लगातार मांग की जाती रही थी। असम आंदोलन को समाप्त करने के लिए राजीव गांधी सरकार ने 1985 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें 1971 के बाद आने वाले लोगों को एनआरसी में शामिल न करने पर सहमति व्यक्त की गई थी। अवैध प्रवासियों को हटाने के लिए राज्य की कांग्रेस सरकार ने पायलट प्रोजेक्ट के रूप में साल 2010 में एनआरसी को अपडेट करने की शुरुआत असम के दो जिलों- बारपेटा और कामरूप से की। लेकिन, बारपेटा में हिंसक झड़प के बाद यह प्रक्रिया ठप हो गई। हालांकि, एनआरसी का काम एक स्वयंसेवी संगठन असम पब्लिक वर्क्स द्वारा एक याचिका दायर करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से ही फिर से शुरू हो सका। वर्ष 2015 में असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एनआरसी का काम फिर से शुरू किया।

कांग्रेस वरिष्ठ नेता सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि एनआरसी के मुद्दे से सरकार अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने की कोशिश रही है। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के एनआरसी के बारे में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पौने तीन साल की अपनी असफलताओं पर पर्दा डालने के लिए यह शिगूफा छोड़ा है। धस्माना ने कहा कि पौने तीन साल में त्रिवेंद्र सरकार हर मोर्चे पर फेल हुई है। राज्य में विकास का पहिया पूरी तरह से पटरी से उतर गया। रोजगार किसी को मिला नहीं। औधोगिक विकास पूरी तरह से ठप्प पड़ा है। स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। सरकारी स्कूलों में ताले पड़ रहे हैं। ऐसे में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए ये नया जुमला खोजा है। अगर मुख्यमंत्री को लगता है कि राज्य में घुसपैठिये और विदेशी रह रहे हैं तो उसका खुलासा करना चाहिए। एनआरसी अभी तक केवल असम राज्य में लागू है। ऐसे में असम को मॉडल स्टेट मानकर नागरिक साबित करने के लिए व्यक्ति विशेष के लिए ‘कट ऑफ डेट’ तय की गई है। असम में 25 मार्च, 1971 से पहले राज्य में अपना निवास साबित करने के लिए लिस्ट ‘ए’ में दिए किसी एक दस्तावेज को जमा करवाया गया।

Loading...

Check Also

अहमदाबाद में गृहमंत्री अमित शाह ने सोनम किन्नर का शॉल उढाकर किया स्वागत

सूर्योदय भारत समाचार सेवा, लखनऊ / अहमदाबाद : गृहमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र अहमदाबाद में उत्तर ...