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सरकार की कोरोना संकट से निपटने के लिए न कोई रणनीति है और न नियत – अखिलेश यादव

राहुल यादव, लखनऊ।   अखिलेश यादव ने ईद के मौके पर आज ईदगाह जाकर इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगीमहल साहब और टीलेवाली मस्जिद पहुंचकर इमाम मौलाना सैय्यद फज़लू मन्नान रहमानी साहब से मुलाकात कर उन्हें ईद की मुबारकवाद दी। उन्होंने सभी की सलामती और अमनचैन की दुआ की। उलेमाओं ने बताया कि इस बार ईद की नमाज समूह के बजाय घरों में अदा की गई। लोगों ने लाॅकडाउन का पालन किया फोन से अपने रिश्तेदारों मित्रों को मुबारकवाद दी।     अखिलेश यादव वर्षों से ईदगाह एवं टीलेवाली मस्जिद हर त्योहर पर जाते रहे है। टीलेवाली मस्जिद पर मन्नान साहब के पूर्व भी इमाम साहब सैय्यद शाह फजलू रहमान वायजी नदवी से मिलते थे।
     अखिलेश यादव ने हुसैनगंज-लालकुआं होकर ऐशबाग लखनऊ ईदगाह जाते हुए भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही चैथी बार देखा कि वहां 2 साल से बन रहा पुल अभी तक नहीं बन पाया है। भाजपा सरकार ने एक किलोमीटर के निर्माण में लेट लतीफी की हद कर दी है। जबकि समाजवादी पार्टी की सरकार में 22 महीने में 10 किलोमीटर मेट्रो को संचालन के लिए तैयार कर दिया था। इस दस किलोमीटर में सैकड़ों पीलर भी बनाये गये।
   अखिलेश यादव ने कहा, भाजपा सरकार ने श्रमिकों के सुख-दुःख एवं पुनर्वास के मामले में घोर अक्षमता प्रदर्शित की है। श्रमिक भूखे-प्यासे सैकड़ों किलामीटर पैदल चल रहे है, उनके खाने-पीने की व्यवस्था के सरकारी दावे झूठे साबित हो रहे हैं। जो श्रमिक दूसरे प्रांतों से आ गए हैं उनकी रोजी और पुनर्वास के मामले में भी अभी केवल कागजी फाइलें चलाई जा रही हैं। ठोस में कुछ भी नहीं हो रहा है।
    मुख्यमंत्री  के दावों में कितनी सच्चाई है इसी से स्पष्ट है कि श्रमिकों को जब बासी खाना दिया गया तो उन्होंने उसे फंेक दिया। हरदोई, चंदौली, मिर्जापुर स्टेशनों पर बदइंतजामी से परेशान श्रमिकों ने हंगामा किया। शाहजहांपुर में लुधियाना से सीतापुर जा रहे पांच यात्री चलती ट्रेन से कूद गए। कई जगह भूखे लोगों ने छीना-झपटी भी की।
   पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा वह तो सरकारी अमले की नींद उस समय टूटी जब पूर्व सांसद डिम्पल यादव ने श्रमिकों की बदहाली और सरकारी उपेक्षा से क्षुब्ध होकर स्वयं राहत पहुंचाने की मुहिम सम्हाली। उनके द्वारा तपती दोपहरी की बिना परवाह किये कई दिन से एक्सप्रेस-वे और अयोध्या मार्ग पर बसों में भूखे-प्यासे श्रमिकों को भोजन और पानी वितरित किया जा रहा है। कामगारों ने इसके लिए उनका बार-बार आभार व्यक्त किया। इन श्रमिकों को रास्ते में भी कुछ नहीं मिला था। मानो भाजपा ने मजबूर मजदूरों और गरीबों के सब्र का इम्तहान लेने का इरादा कर लिया है।
 समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा   कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार की न कोई रणनीति है और न नियत। जिस तरह से सरकार ने श्रमिकों की अनेदखी की गई, वैसे ही आम नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश में 70 हजार से ज्यादा बसों का बेड़ा है। सरकार की नियत ठीक होती तो बहुत पहले ही श्रमिकों को बिना तबाह किये उनके घरों पर पहंुचा दिया होता।      समाजवादी पार्टी ने पूरे लाॅकडाउन पीरियड में अपने नेताओं कार्यकर्ताओं को गरीबों और भूखे-प्यासे श्रमिकों को भोजन-पानी तथा राशन पहुंचाने के लिए निर्देशित किया। जनता में जब राहत पहुंचने लगी तो खुद हाथ पर हाथ धरे भाजपाईयों ने सत्ता के सहारे समाजवादी साथियों पर झूठे मुकदमें भी दर्ज करा दिए। इसके बावजूद समाजवादी राहत कार्यों में लगे हैं। जनता ने भी देखा है कि कौन उनके दुःख दर्द में शामिल है और कौन सिर्फ राहत को तमाशा बना रहा है। सरकार ने श्रमिकों के साथ धोखा किया। उन्हें अपमानित और उपेक्षित करने का महापाप किया है।

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