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सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों को नहीं मिला इलाज, प्राइवेट अस्पतालों का लेना पड़ रहा सहारा

अशाेक यादव, लखनऊ। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है, वहीं अब डेंगू के मरीजों का आकड़ा 600 के करीब पहुंच चुका है। गुरूवार को अलग-अलग क्षेत्र में 27 नए डेंगू के मरीज पाए गए हैं।

सीएमओ डॉ मनोज अग्रवाल ने बताया कि नए मरीज एनके रोड, सिल्वर जुबली, टूडियागंज, रेडक्रास, ऐशबाग, अलीगंज, इन्दिरानगर, इटौजा क्षेत्र के हैं। मौजूदा समय में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन शहर के बलरामपुर और सिविल अस्पताल में मरीजों को समय से इलाज नहीं मिल पा रहा है, मरीज ओपीडी में दिखाने के लिए आते हैं, लेकिन उन्हें वहीं से दवाएं देकर भेज दिया जाता है। मरीज बताते हैं कि भर्ती करने से भी इनकार कर दिया जाता है।

फैजुल्लागंज निवासी फातिमा ​ने बताया कि उनके पति मो. उमर कई दिनों से बुखार आ रहा था, बलरामपुर में दिखाया तो पता बुखार की दवा दे दी गई, लेकिन डेंगू की जांच नहीं कराई गई। ऐसे में जब प्राइवेट जांच कराई गई तो डेंगू की पुष्टि हुई है। अब प्राइवेट इलाज कराया जा रहा है।

मदेयगंज निवासी अन्नू अवस्थी ने बताया कि उनके पिता सुरेन्द्र अवस्थी को कई दिनों से बुखार आ रहा था, बलरामपुर की ओपीडी में दिखाया गया, जहां दवाएं तो दी गई लेकिन डेंगू जांच नहीं कराई गई, ऐसे में प्राइवेट जांच में पता चला कि डेंगू है। तो एक निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ा है।

स्वास्थ्य विभाग की टीम की आकड़ों के मुताबिक फैजुल्लागंज में सबसे अधिक मरीज मिल चुके हैं। यहां जनवरी से अभी तक 61 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। यहां हर साल हजारों की संख्या में बच्चे और बड़े बुखार की चपेट में भी आ जाते हैं।

सीएमओ डॉ मनोज अग्रवाल ने बताया कि गुरूवार को अलग-अलग क्षेत्रों के 2409 घरों की स्थिति का जायजा लिया गया। इसमें 24 घरों के पास गंदगी पाई गई। इन सभी को नोटिस देकर चेतावनी दी गई है। सीएमओ ने बताया कि खरगापुर, इन्दिरानगर, राजाजीपुरम, हुसैनाबाद, फैजुल्लागंज, त्रिवेणीनगर, केसरीखेडा वार्ड के आस-पास के क्षेत्रों का भ्रमण किया गया। भ्रमण के दौरान क्षेत्रीय जनता को घर के आस-पास पानी जमा न होने, पानी से भरे हुए बर्तनों एवं टं​की को ढक कर रखने, कुछ समय के अन्तराल पर कूलर को खाली करके साफ कपड़े से पोछ कर सूखा एवं साफ करने की सलाह दी गई है।

लोहिया संस्थान में टीबी के बिगड़े रूप एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंट) के मरीजों को मुफ्त इलाज मुहैया कराया जाएगा। ओपीडी और भर्ती कर मरीजों को इलाज मुहैया कराने की सुविधा होगी। अभी सिर्फ केजीएमयू में एमडीआर टीबी मरीज को भर्ती कर इलाज मुहैया कराने की सुविधा है। यह फैसला संस्थान प्रशासन और उप्र स्टेट टास्क फोर्स (क्षय नियंत्रण) के अफसरों के बीच बैठक में लिया गया। पूरे प्रदेश में एमडीआर टीबी के इलाज के 22 सेंटर संचालित हो रहे हैं। 23 वां सेंटर लोहिया संस्थान में स्थापित किया जाएगा।

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