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विभिन्न केंद्रीय मजदूर संगठन राज्यों में श्रम कानूनों को कमजोर करने के विरोध तथा प्रवासी मजदूरों के समर्थन में कल करेंगे देशव्यापी हड़ताल

अशाेेेक यादव, लखनऊ। विभिन्न केंद्रीय मजदूर संगठन उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश तथा अन्य राज्यों में श्रम कानूनों को कमजोर करने के विरोध तथा प्रवासी मजदूरों के समर्थन में कल देशव्यापी हड़ताल करेंगे।

मजदूर संगठनों ने एक बयान में श्रम कानूनों को कमजोर करने की कड़ी निंदा की और इन्हें निर्दयी तथा आपराधिक करार दिया।

मजदूर संगठनों ने आरोप लगाया कि राज्य सरकारें केंद्र सरकार की शह पर मजदूर कानूनों को कमजोर कर रही है और लंबे अरसे के बाद अर्जित की गई सुविधाओं को वापस ले रही हैं।

उन्होंने कहा कि 22 मई को देशभर में इन कानूनों को कमजोर करने के खिलाफ धरने प्रदर्शन किए जाएंगे।

नई दिल्ली में राजघाट पर श्रमिक संगठनों के केंद्रीय नेता दिन भर का अनशन करेंगे। इसके साथ ही राज्य की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर भी श्रमिक नेता अनशन पर रहेंगे।

मजदूर संगठनों ने कहा है कि वैश्विक महामारी के कारण मजदूर पहले से ही गहरे दबाव में हैं उनके सामने जीवन और आजीविका का संकट पैदा हो गया है ऐसे समय में सरकार उनका साथ देना चाहिए लेकिन वह उनके शोषण का रास्ता तैयार कर रही है।

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उद्योगों को आकर्षित करने के लिए श्रम कानूनों को स्थगित कर दिया है। अन्य राज्यों में भी श्रम कानून कानूनों को शिथिल किया है और अन्य राज्य इस प्रक्रिया में है। गुजरात ने 1200 दिन तक श्रम कानूनों मे छूट देने की प्रक्रिया चल रही है।

विरोध प्रदर्शन की चेतावनी देने मजदूर संगठनों में सेंटर फॉर ट्रेड यूनियन कांग्रेस, आल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन (कांग्रेस), ट्रेड यूनियन कांग्रेस कमिटी (सेवा), लेफ्ट पीपल्स फ्रंट तथा अन्य मजदूर संगठन शामिल हैं।

मजदूर संगठनों का कहना है कि श्रम कानूनों को कमजोर करना अंतरराष्ट्रीय कानूनों, सम्मेलनों और परंपराओं का भी उल्लंघन है। श्रमिकों ने दशकों के संघर्ष के बाद जिन सुविधाओं को हासिल किया है, उन्हें वापस लेना अपराध है।

इस बीच छह वामदलों ने देश में कोरोना महामारी के दौरान मजदूरों और गरीबों की सरकार द्वारा उपेक्षा किए जाने के विरोध में राष्ट्रीय हड़ताल का समर्थन किया है और सरकार से इन वंचित समुदाय के लोगों की राहत के लिए जल्दी से जल्दी ठोस कदम उठाने की मांग की है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्कसवादी कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी भाकपा (माले) आल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, रेवोलूशिनरी सोशलिस्ट पार्टी और कम्युनिस्ट ग़दर पार्टी ऑफ़ इंडिया की दिल्ली इकाई ने यह मांग की है।

वामपंथी पार्टियां 22 मई को केंद्रीय ट्रेड यूनियन संगठनों द्वारा मज़दूरों की मांगों के समर्थन में जो अखिल भारतीय विरोध का उसका पूरी तरह समर्थन करती हैं।

उन्होंने एक बयान में कहा है कि कोरोना बीमारी के संकट में केंद्रीय सरकार ने प्रवासी मज़दूरों के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया है हम उसकी सख्त निंदा करते है।

मांग करते हैं की इन सभी मज़दूरों को ट्रैन व बसों द्वारा उनके घरों न सिर्फ निशुल्क घर पहुंचाया जाये बल्कि सभी मज़दूरों व गरीबों को तुरंत 7500 रूपये लगातार तीन महीना तक दिए जाये।

बयान में कहा गया है कि आपदा को मज़दूर विरोधी श्रम सुधार का अवसर न बनाते हुए सभी ऐसे श्रमिक विरोधी कानूनों को तुरंत वापिस लिया जाये। आपदा के काल में सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण तुरंत रोका जाये।

सभी मज़दूरों व गरीबों को तीन महीने का बिना कोई शर्त पूरा राशन तुरंत दिया जाये। सरकारी कर्मचारियों का जो डीए व डीआर को फ्रीज़ किया गया है उसे तुरंत दिया जाये।

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