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एक खिलाड़ी को मानसिक तौर पर मजबूत होना चाहिए व अपने फिटनेस व ट्रेनिंग के लिए स्वयं की जवाबदेही तय करनी चाहिए

ग्वालियर: लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान में खेल प्रबंधन व कोचिंग विभाग द्वारा वाॅलीबाल, बास्केटबाॅल व जिम्नास्टिक में “कोचिंग, ट्रेनिंग व आॅफिसिएटिंग” पर आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन गुरुवार (22-03-18) को  प्रातःकालीन सत्र में दिव्या सिंह ने बास्केटबाॅल खेल के परिदृश्य में कोचिंग फिलोसफी पर व्याख्यान दिया। “जितना अधिक आप परिश्रम करेंगे उतना आप सफल होंगे” कथन के साथ उन्होने अपनेे व्याख्यान का आरंभ किया। उन्होने खिलाड़ियों के मानसिक दृढ़ता पर बात करते हुए कहा एक खिलाड़ी को मानसिक तौर पर मजबूत होना चाहिए व अपने फिटनेस व ट्रेनिंग के लिए स्वयं की जवाबदेही तय करनी चाहिए। उन्होने अपने व्याख्यान में प्रशिक्षको के व्यावहारिक दृष्टिकोण पर जोर डालते हुए कहा कि एक प्रशिक्षक को खिलाड़ियों के मध्य मैत्री व स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना को मजबूत करना चाहिए।

जिम्नास्टिक के व्याख्यान में टीम गेम व ट्रेनिंग पर चर्चा हुई खेल विशेषज्ञ ने प्रतिभागियों से कहा टीम गेम में ट्रेनिंग की आवश्यक्ता हैं जबकि व्यक्तिगत प्रतियोगिताओं के लिए टीम के सदस्यों के लिए कोचिंग। ऐसा इसलिए क्यांेकि जिम्नास्टिक टीम के प्रत्येक सदस्यों का उनकी आवश्यक्ता के अनुसार अलग-अलग ट्रेनिंग प्रोगाम बनाया जाना आवश्यक है। जिम्नास्टिक में खिलाड़ियों के कला-कौशल को छोटे-छोटे हिस्सों में तोड़कर अभ्यास कराया जाता हैं जिससे कि पूर्ण स्वरूप में कमियों की संभावना न के बराबर हो। जिम्नास्टिक में कई तरह की योग्यताओं के विकास पर ध्यान दिया जाता हैं जैसे- खिलाड़ियों के संतुलन, समन्वय, तेजी, ताकत व लचीलापन इत्यादि। जिम्नास्टिक खेल को चार आयु वर्गों में बांटा गया हैं जिसमें 3-6, 7-10, 11-15 व 16 से ऊपर।

काॅमन सत्र का गुरुवार (22-03-18) का व्याख्यान डाॅ. रोहित बहुगुणा ने लिया जिसमें उन्होने प्लियोमेट्रिक ट्रेनिंग के बारे में प्रतिभागियों को बताया। प्लियोमेट्रिक ट्रेनिंग को शाॅक ट्रेनिंग के तौर पर भी जाना जाता हैं जिसमें कि रनिंग, स्किपिंग, जम्पिंग जैसे एक्सरसाइज आती हैं। इस ट्रेनिंग के प्रयोग के माध्यम से खिलाड़ियों की एंडयुरेंस व एक्सपलोसिव स्ट्रैंथ को बढ़ाया जाता हैं। यह ट्रेनिंग इसलिए भी खिलाड़ियों के लिए आवश्यक हैं क्यांेकि इसके द्वारा कोच अपने खिलाड़ी के स्ट्रैंथ व स्पीड दोनो को साथ ही बढ़ाने के साथ ही दोनों में बेहतर सामजंस्य भी लाने मेें मदद कर पाते हैं। सांयकालिन सत्र में बास्केटबाॅल, वाॅलीबाल व जिम्नास्टिक तीनों ही खेलों के प्रतिभागियों को अपने-अपने ग्राउंड व हाॅल पर विशेषज्ञों द्वारा अपने खेलों की प्रायोगिक व व्यवहारिक जानकारी मिली।

 

 

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