नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव और पूर्वी यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी के बनारस (वाराणसी) से चुनाव लड़ने की खबरें समय-समय पर पूर्वांचल की राजनीति में उफान लाती रहीं लेकिन आखिरी में बनारस से उनके चुनाव न लड़ने के ऐलान के बाद कांग्रेस के हवा का रुख थोड़ा धीमा पड़ गया. इसी हवा को तेज करने के लिए प्रियंका गांधी अगले हफ्ते से वाराणसी में कैम्प कर सकती हैं. ये बात उस वक्त सामने आई, जब बीते गुरुवार को प्रियंका गांधी वीडियो कॉलिंग के जरिये बनारस के कार्यकर्ताओं और प्रत्याशी अजय राय से रूबरू हुईं.
प्रियंका गांधी ने कार्यकर्ताओं से इलाके में कांग्रेस का हाल तो जाना ही, साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं के अंदर जोश भरते हुए कहा कि एक-एक कार्यकर्ताओं को अपने-अपने बूथ स्तर तक जा कर मेहनत करनी होगी.कार्यकर्ताओं ने जब उनके अपने प्रोग्राम के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने भरोसा दिया कि वो जितने दिन चाहेंगे यहां कैम्प करेंगी. प्रियंका गांधी की ये सधी हुई स्ट्रेटजी रही है कि वो कार्यकर्ताओं से बात भी करती हैं और वो जो खुद करना चाहती हैं, उसे कारकर्ताओं से बुलवा कर उनकी इच्छा पर काम करते हुए श्रेय कार्यकर्ताओं को देती हैं.
इसी कड़ी में वो खुद पूर्वांचल की बाकी बची 13 सीटों को मथने के लिये बनारस में कैम्प करना चाहती होंगी मगर उसे कहलवाया कार्यकर्ताओं के मुख से. गौरतलब है कि आखिरी चरण के चुनाव में उत्तर प्रदेश की बनारस सहित 13 सीटें हैं, चूंकि बनारस से खुद प्रधानमंत्री चुनाव लड़ रहे हैं, लिहाजा इसका प्रभाव इन 13 सीटों पर भी पड़ेगा. इसलिए प्रियंका गांधी भी इन 13 सीटों पर अपना प्रभाव काबिज़ करने के लिये बनारस में कैम्प करने की तैयारी में हैं. पूर्वांचल की ये 13 सीटे पूर्वांचल की 10 जिलों में आती हैं. ये जिले हैं वाराणसी, सोनभद्र, बलिया, गाज़ीपुर, मऊ आजमगढ़, मिर्ज़ापुर, जौनपुर, भदोही और चंदौली.
इसमें तीन जिलों जौनपुर, बलिया और आजमगढ़ में दो-दो साइड हैं जो इस तरह है मछलीशहर , सलेमपुर और लालगंज. इन 13 सीटों में 2014 में आजमगढ़ को छोड़ कर बाकी की 12 सीटों पर बीजेपी का कब्ज़ा था, लेकिन इस बार इन सीटों पर 2014 के हालात नहीं हैं. सपा-बसपा गठबंधन जहां बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहा है, तो वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार कई सीटों पर बीजेपी को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में प्रियंका गांधी यहां अगर कैम्प करके इन इलाकों में सघन दौरा करती हैं, तो बीजेपी के लिए और बड़ी मुश्किल खड़ी कर देंगी. वैसे भी प्रियंका के लिये इन इलाकों में कांग्रेस की पैठ बनाना उनके लिए चुनौती भी है क्योंकि वो इस चुनाव में पूर्वांचल की प्रभारी भी हैं.