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लखनऊ: ऊर्जा निगमों के कर्मियों व प्रबंधन में छिड़ा विवाद

अशाेक यादव, लखनऊ। ऊर्जा निगमों के कार्मिकों व प्रबंधन के बीच विवाद छिड़ गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष विभाग में कार्य का माहौल बिगाड़ रहे हैं। कर्मियों ने ऊर्जा मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है।

संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों वीपी सिंह, प्रभात सिंह, जीवी पटेल, जय प्रकाश, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, सुहेल आबिद, राजेन्द्र घिल्डियाल, राजपाल सिंह, ब्रजेश त्रिपाठी, वीसी उपाध्याय, महेंद्र राय, शशिकांत श्रीवास्तव, विनय शुक्ल, मो वसीम, मो इलियास, प्रेम नाथ राय, वीके सिंह कलहंस, रफीक अहमद, सनाउल्लाह, पीएस बाजपेई, उमाकांत त्रिपाठी ने संयुक्त हस्ताक्षर कर ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को पत्र भेजा है।

जिसमें कहा गया है कि प्रबंधन की मुख्य जिम्मेदारी बिजली उत्पादन, पारेषण, वितरण, राजस्व वसूली और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए कर्मचारियों को समुचित संसाधन उपलब्ध करायें पर अत्यन्त खेद का विषय है। मौजूदा प्रबन्धन कर्मचारियों को कुछ भी सुविधा मुहैया करने के बजाये अलोकतांत्रिक ढंग से कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों व अभियंताओं का दमन करने पर उतारू हैं। वहीं, आए दिन नए-नए उत्पीड़नात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।

प्रबंधन की ओर से हाल ही में पदोन्नतियां की नियमावली में कई प्रतिकूल परिवर्तन किए गए हैं। जिससे उत्कृष्ट और अति उत्तम वार्षिक रिपोर्ट होते हुए भी कार्मिकों को बड़े पैमाने पर पदोन्नति से वंचित किया गया है। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम से बिना कोई कारण बताए लगभग दो दर्जन जूनियर इंजीनियरों व अभियन्ताओं को उत्पीड़न की दृष्टि से बिना किसी नीति के पूर्वांचल व अन्य डिस्कॉमों में स्थान्तरित कर दिया गया है।

प्रबंधन के इस अन्यायपूर्ण कृत्य का लोकतांत्रिक ढंग से विरोध कर रहे अभियन्ताओं का उत्पीड़न किया जा रहा है। संघर्ष समिति की मांग है कि पश्चिमांचल में किये गये एकतरफा अन्यायपूर्ण स्थानान्तरण आदेश तत्काल निरस्त किए जाएं। संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि अगर पश्चिमांचल प्रदेश में लोकतांत्रिक ढंग से विरोध प्रदर्शन कर रहे कार्मिकों पर कोई भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी और इसका सशक्त प्रतिकार किया जाएगा।

अभियंताओं व कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण किया जा रहा है। अगर कोई समस्या है तो प्रबंधन हमेशा वार्ता के लिए तैयार है।

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