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राज्यसभा में विपक्ष 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग पर अड़ा, बैठक पूरे दिन के लिए स्थगि

नई दिल्ली। राज्यसभा के 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन की बैठक बुधवार को तीन बार बाधित होने के बाद दोपहर तीन बज कर पांच मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्षी दलों के सदस्य कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के इलामारम करीम तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम का निलंबन वापस लिए जाने की मांग कर रहे थे।

इन 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है। सुबह 11 बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने जैसे ही शून्यकाल शुरू कराया, विपक्षी सदस्यों ने 12 सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया और अपने स्थानों से आगे आ गए।

इस पर नायडू ने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा, ‘‘मैं इसकी (हंगामे की) अनुमति नहीं दे सकता। सदन में जो कुछ हो रहा है उसे लोगों को दिखाया जाना चाहिए। जिन सदस्यों ने सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाई हैं, उन्हें कोई पश्चाताप नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आसन के निकट आना, टेबल पर चढ़ जाना, कागज फाड़कर हवा में उछालना, मंत्रियों के हाथ से पेपर छीन लेना और आसन को चुनौती देना। वह सब कुछ हो रहा है जो असंसदीय और अनैतिक है। जब आपको पश्चाताप ही नहीं है तो हम क्या कर सकते हैं।’’

उन्होंने कुछ सदस्यों द्वारा तख्तियां लेकर सदन में आने और उसे लहराए जाने को अनुचित ठहराते हुए कहा, ‘‘आप नहीं चाहते कि सदन की कार्यवाही चले। इस पर करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं और सदन में जो हो रहा है उससे लोग हतोत्साहित हो रहे हैं।’’ उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने को कहा। अपनी बात का असर न होते देख नायडू ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक शुरू होने पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग दोहराई। उपसभापति हरिवंश ने कहा कि वह प्रश्नकाल के अलावा किसी और मुद्दे पर बात करने की अनुमति नहीं दे सकते। इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने हंगामा और नारेबाजी शुरु कर दी। उपसभापति ने कहा कि सदस्यों के निलंबन के बारे में सभापति पहले ही कह चुके हैं कि नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष आपस में चर्चा करके कोई रास्ता निकालें। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया। लेकिन सदन में शोर जारी रहा और व्यवस्था बनते नहीं देख उन्होंने बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर उपसभापति हरिवंश ने जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को बांध सुरक्षा विधेयक पेश करने के लिए कहा। इसी दौरान नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 12 सदस्यों के निलंबन का मुद्दा उठाने की कोशिश की। आसन ने इसकी अनुमति नहीं दी और कहा कि अगर वह बांध संबंधी विधेयक पर कुछ कहना चाहते हैं तो वह अपनी बात रख सकते हैं। तब विपक्षी सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर हंगामा शुरू कर दिया। उपसभापति ने सदस्यों को आसन के समीप आने से मना किया और विधेयक पर चर्चा में शामिल होने को कहा। इसी दौरान उन्होंने कुछ सदस्यों को मोबाइल फोन से फोटो लेने से भी मना किया और कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी।

शेखावत ने बांध सुरक्षा विधेयक को चर्चा एवं पारित कराने के लिए सदन के पटल पर रखा। वह इस विधेयक के बारे में कुछ बोलते हुए भी देखे गये किंतु शोरगुल के कारण उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। सदन में हंगामा थमते नहीं देख हरिवंश ने दोपहर दो बजकर करीब पांच मिनट पर बैठक अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी। तीन बार के स्थगन के बाद जब तीन बजे बैठक पुन: शुरू हुई तब पीठासीन अध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने जल शक्ति मंत्री शेखावत को बांध सुरक्षा विधेयक पर अपनी बात पूरी करने के लिए कहा। शेखावत ने अपनी बात रखनी शुरू की लेकिन इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने 12 सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया।

कालिता ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा ‘‘मैंने मंत्री को बोलने की अनुमति दी है। आप उन्हें बोलने नहीं दे रहे हैं। आप अपने स्थानों पर जाएं और कामकाज चलने दें।’’ अपनी अपील का असर नहीं होते देख पीठासीन अध्यक्ष ने तीन बज कर पांच मिनट पर बैठक को दिन भर के लिए स्थगित कर दिया। गौरतलब है कि संसद के सोमवार को आरंभ हुए शीतकालीन सत्र के पहले दिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को पिछले मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने की वजह से, वर्तमान सत्र की शेष अवधि तक के लिए राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया।

उच्च सदन में उपसभापति हरिवंश की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार, 29 नवंबर को इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा था जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।

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