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रथयात्रा-रथ पर स्थापित हुए महाप्रभु जगन्नाथ

पुरी। विश्व प्रसिद्ध महापर्व जगन्नाथ रथयात्रा पुर्व की समस्त धार्मिक अनुष्ठान लगभग पूरे होने को हैं। अपरान्ह जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ महाप्रभु भाई बहिन संग नगर भ्रमण करते हुए गुंडिचा मन्दिर मौसी मां के घर पहुंचेंगे। उन्हें रथ पर स्थापित कर दिया गया है।

गोवर्द्धनपीठ पूरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलनन्द सरस्वती महाप्रभु की रीतिनीति के अनुसार अनुष्ठान करेंगे और प्रथम सेवक गजपति महाराज छेरा पहरा यानी सोने की झाड़ू से रथ मार्ग बुहारने की परंपरा का अभी अभी निर्वहन किया। तैयारियां निर्धारित समय से पूर्व चल रही हैं।

विभिन्न प्रान्तों व विदेशी भक्तों सहित लाखों की संख्या में लोग अभी भी पहुंच रहे हैं। भोर चार बजे से श्रीमन्दिर के सिंह द्वार पर खड़े नन्दीघोष, तालध्वज और दर्पदलन रथ के मार्ग को महिलाएं श्रद्धापूर्वक बुहारने में जुटी थीं।

भजन कीर्तन की टोलियों के आगमन और रथ मार्ग पर नारियल फोड़कर दीप प्रज्ज्वलित किये रहे थे। सामान्य समय में लाखों लोग ‘आषाढ़ी बीज’ के दिन रथयात्रा के मार्ग में देवताओं और जुलूस की एक झलक पाने के लिए इकट्ठा हुए हैं, जिसमें सजे-धजे हाथी और कई झांकियां शामिल होती हैं।

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