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यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना घटाने पर राजमार्ग मंत्रालय ने मांगी राय, पूछा- क्या संशोधित कानून में तय न्यूनतम जुर्माने को राज्य घटा सकते हैं

नई दिल्ली: यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना घटाने पर और अधिक राज्यों के विचार करने के बीच सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस बारे में कानूनी राय मांगी है कि क्या संशोधित कानून में तय न्यूनतम जुर्माने को राज्य घटा सकते हैं. यह जानकारी एक अधिकारी ने दी. गुजरात और उत्तराखंड की भाजपा सरकारों ने जुर्माने की राशि घटाने की पहले ही घोषणा कर दी है, जबकि उत्तर प्रदेश सरकार जुर्माना घटाने पर विचार कर रही है. मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे विपक्षी दल शासित राज्यों ने भी नया कानून लागू करने से इनकार किया है. दरअसल, एक सितंबर से मोटर यान (संशोधन) अधिनियम, 2019 के लागू होने के बाद से यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर पुलिस द्वारा वाहन चालकों से भारी जुर्माना वसूलने की खबरें सुर्खियों में रही हैं. इस संबंध में एक अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘हमने विधि मंत्रालय के कानून विभाग से इस बारे में राय मांगी है कि क्या राज्यों को संशोधित अधिनियम के तहत निर्धारित न्यूनतम जुर्माने को घटाने का अधिकार है.” अधिकारी ने कहा कि राज्यों द्वारा जुर्माने को घटाये जाने की खबरों के बाद विधि मंत्रालय से स्पष्टीकरण मांगने वाला पत्र बुधवार को भेजा गया था. उन्होंने कहा, ‘‘विधि मंत्रालय से स्पष्टीकरण (इस बारे में) मिल जाने पर हम उनके जवाब के आधार पर उपयुक्त कदम उठाएंगे.” अधिकारी ने कहा कि संशोधित कानून के तहत जहां यातायात नियम उल्लंघन के लिए ‘‘इतने तक जुर्माना” का जिक्र है, राज्य जुर्माने के बारे में फैसला कर सकते हैं लेकिन जहां यह निर्धारित (फिक्स्ड) जुर्माना है, वहां प्रावधान के मुताबिक जुर्माना नहीं घटाया जा सकता. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने जुर्माने में वृद्धि का बचाव करते हुए कहा है कि यह राजस्व अर्जित करने के लिए नहीं, बल्कि लोगों की बेशकीमती जान बचाने के लिए है. गौरतलब है कि भारत में हर साल करीब पांच लाख सड़क हादसे होते हैं जिनमें लगभग डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है और अन्य तीन लाख अपंग हो जाते हैं.

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