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नहीं मिल पा रहा है उचित इलाज: मंत्री ब्रजेश पाठक

 

राहुल यादव, लखनऊ। कोविड  महामारी की दूसरी लहर के दौर में क्या आम आदमी और क्या खास सभी परेशान हैं। उत्तर प्रदेश के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक ने अपर मुख्य सचिव , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र लिख कर वर्तमान समय में लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं का अत्यन्त चिन्ताजनक हाल है खेद जताया है । 

एसीएस को लिखे अति गोपनीय पत्र मेंं मंत्री ने कहा है कि विगत एक सप्ताह से हमारे पास पूरे लखनऊ जनपद से सैकड़ो फोन आ रहे है . जिनको हम समुचित इलाज नहीं दे पा रहे है । मुख्य चिकित्सा अधिकारी के काालय में फोन करने पर बहुधा फोग का उत्तर नहीं दिया जाता था , जिसकी शिकायत मा ० चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मन्त्री जी से एवं अपर मुख्य सचिव , स्वास्थ्य विभाग , उ 0 प्र 0 , शासन से करने के उपरान्त से फोन तो उठता है किन्तु सकारात्गक कार्य नहीं होता । कोरोना पैशेन्ट्स की जांच रिपोर्ट मिलने में 4 से 7 दिवस का समय लग रहा है । एम्बुलेन्स भी पेशेन्ट्स को समय से नहीं मिल पा रही है तथा फोन पर बुलाने पर 5 से 6 घण्टो में एम्बुलेन्स पहुंच रही है । सी.एम.ओ. आफिस से भर्ती की स्लिप मिलने में दो – दो दिनों का समय लग रहा है । ऐसी असन्तोषजनक स्थिति के दृष्टिगत विगत 8 तारीख को मैं स्वयं मुख्य चिकित्साधिकारी के कार्यालय जा रहा था , किन्तु अपर मुख्य सचिव , चिकित्सा एवं स्वास्थ्य द्वारा फोन पर दिये गये आश्वासन के दृष्टिगत मै उनके कार्यालय नहीं गया , हॉलाकि अद्यतन तिथि तक किसी भी प्रकार से स्थिति संतोषजनक नहीं हुयी है । आज मेरी विधानसभा क्षेत्र के पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त डॉ योगेश प्रवीण की अचानक तबियत बिगड़ गयी , जिसकी सूचना मिलने पर मैने त्ययं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से फोन पर बात की एवं उन्हे तत्काल एम्बुलेन्स तथा चिकित्सा मुहैया कराने का अनुरोध किया , किन्तु खेद का विषय है कि कई घण्टो के उपरान्त भी उन्हें एम्बुलेन्स नहीं मिल पायी एवं समय से चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाने के कारण उनका निधन हो गया । वर्तमान कोविड -19 जनित परिस्थितियों में जबकि प्रतिदिन 4 से 5 हजार कोरोना के रोगी जनपद में मिल रहे है . ऐसे में कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या अत्यधिक कम है । लखनऊ में प्राइवेट पैथोलॉजी सेन्टरों में कोविड की जॉच बन्द करा दी गयी है एवं सरकारी अस्पतालों में कोविड की जाँच में कई दिनों का समय लग रहा है । चिकित्सा विभाग के एक बड़े अधिकारी से एक सप्ताह पूर्व मेरी बात हुयी थी , जिन्होने मुझे बताया कि उन्हें प्रतिदिन 17000 किट जॉच हेतु चाहिए किन्तु मात्र 10000 जाँच किट ही उन्हें उपलब्ध हो पा रही है । उपरोक्त वर्णित वस्तुस्थिति के परिप्रेक्ष्य में मेरा अनुरोध है कि कोविड अस्पतालों में कोविड के मरीजो हेतु धैड की संख्या बढाई जाये . कोविड जॉच की संख्या बढ़ाई जाये एवं पर्याप्त जॉच किट उपलब्ध करायी जाये । प्राइवेट अस्पतालों , संस्थानों एवं पैथालॉजी को कोविड जोंच का पुनः अधिकार दिया जाये । पूर्व की भाँति कोविड के रैण्डम टेस्ट शुरू किये जाये तथा आर.टी.पी.सी.आर. की जाँच रिपोर्ट सम्बन्धित को 24 घण्टे के अन्दर पहले की तरह उपलब्ध करायी जाये । आई.सी.यू. की संख्या बढ़ाई जाये एवं गम्भीर रोगियों को तुरन्त भर्ती करने की सुविधा प्रदान की जाये तथा कोविड रोगियों को लगने वाले रेगडेसिविर इन्जेक्शन को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाये ।

उक्त के अतिरिक्त जो रोगी कोविड के पेशैन्ट नहीं है , अथवा जो हार्ट , किडनी , लीवर , कौन्सर , डायलसिस एवं अन्य गम्भीर रोगों से ग्रसित है , उनकी और भी अधिक दयनीय स्थिति है , क्योंकि कोविड पैनडेमिक के कारण उन्हें से उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है . ऐसे रोगियों को भर्ती किये जाने के इन्तजाग भी हमें गम्भीरता से देखना है । उपरोक्त कोविड जनित परिस्थितियों को यदि शीघ्र नियन्त्रित नहीं किया गया तो हमें कोविड की रोकथाम हेतु लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है । 

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