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देश में कोई डेटा सुरक्षा कानून नहीं है , ऐसे में लोगों का डेटा कैसे सुरक्षित ? सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ

नई दिल्ली : आधार में दर्ज आम लोगों की जानकारी कितनी सुरक्षित है, इसे लेकर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान आधार कार्ड में दर्ज जानकारी के सुरक्षित होने को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए. पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि देश में कोई डेटा सुरक्षा कानून नहीं है, ऐसे में लोगों का डेटा सुरक्षित है यह कैसे कहा जा सकता है.सुनवाई के दौरान आधार डेटा के चुनाव में इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. पीठे के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि ये वास्तविक आशंका है कि उपलब्ध आंकड़े किसी देश के चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर डेटा का इस्तेमाल चुनाव परिणाम पर प्रभाव डालने के लिए किया जाता है तो क्या लोकतंत्र बच सकेगा. कोर्ट ने कहा कि डेटा संरक्षण कानून की अनुपस्थिति में उपलब्ध सुरक्षित उपायों की प्रकृति क्या है? ये समस्याएं लक्षणकारी नहीं है बल्कि वास्तविक हैं. वहीं सुनवाई के दौरान UIDAI की तरफ से राकेश द्विवेदी ने कहा कि प्रोद्योगिकी आगे बढ़ रही है और हमारे पास तकनीकी विकास की सीमाएं हैं. राकेश द्विवेदी की इस दलील पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि ज्ञान की सीमाओं के कारण हम वास्तविकता के बारे में आंख मूंदे नहीं रह सकते हैं, क्योंकि हम कानून को लागू करने जा रहे हैं जो भविष्य को प्रभावित करेगा. कोर्ट के सामने UIDAI ने सुरक्षा को लेकर अपनी दलील रखी.

इसपर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि चिंता की वजह से डेटा का संभावित इंटरफेस है, जो दुनिया के बाहर उपलब्ध है. डेटा को नियंत्रित करने में एक बड़ी दुनिया है. इस मामले में UIDAI की तरह से कहा गया कि जैसे ही किसी का कोई डेटा जमा किया जाता है वो एंक्रिप्ट हो जाता है और वह डेटा लीक नहीं हो सकता है.

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