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कोयले के कमी और वर्तमान बिजली संकट सरकार की संवेदनहीनता का परिचायक- तरूण भनोत

मध्य प्रदेश में कोयले की कम आपूर्ति और अघोषित बिजली कटौती पर पूर्व वित्तमंत्री ने सरकार को घेरा

सरिता शाह, जबलपुर। केन्द्र सरकार द्वारा विगत वर्षों के दौरान कोयला उत्खन्न को लेकर लिये गये एकतरफा निर्णयों के कारण आज देशभर में बिजली उत्पादन संयंत्रों की मांग के अनुरूप कोयले की आपूर्ति न होने के कारण आने वाले दिनों में देश के कई बड़े राज्यों में भीषण बिजली संकट होने की संभावना है। राज्यों की मांग के अनुरूप कोयले की पर्याप्त आपूर्ति नहीं किये जाने के कारण कुछ राज्यों में महज एक या दो दिन का ही कोयल स्टॉक बचा है, लेकिन राज्यों के द्वारा पर्याप्त कोयला आपूर्ति को लेकर केंद्र की भाजपा सरकार कोयला संकट से उबारने गम्भीर नही हैं । उक्त आरोप प्रदेश सरकार में पूर्व वित्तमंत्री एवं जबलपुर पश्चिम से विधायक श्री तरूण भनोत ने केन्द्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकार के मनमाने और एकतरफा निर्णयों के खिलाफ लगाया है।

भनोत ने बताया कि पूरे विश्व में कोयला उत्पादन के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है। भारत में कोयला प्रचुर मात्रा में होने के बाद भी सरकार की गलत नीतियों और एकतरफा निर्णयों के कारण पिछले दो वर्षो से देश के बिजली संयत्रों के द्वारा कोयले की मांग के अनुरूप पर्याप्त आपूर्ति नहीं किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मोदी सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र में उत्खनन को लेकर निजी भागीदारी बढाने का निर्णय लिया गया था, और निजी कंपनियों द्वारा कोयले का बडा हिस्सा निर्यात कर मुनाफाखोरी करने के कारण वर्तमान समय में देश कोयले की भारी कमी के दौर से गुजर रहा है। केन्द्र सरकार की गलत उत्खनन नीतियों के कारण ऐसा लगता है कि देश के कोयले पर सरकार का नियंत्रण जैसे खत्म होता जा रहा है। जिसके कारण देश भर में कोयले की आपूर्ति लगातार प्रभावित हो रही है। मध्यप्रदेश में तथाकथित डबल इंजन की सरकार होने का दावा करने के बावजूद भी प्रदेश के चारों बड़े बिजली संयत्रों में एक सप्ताह से भी कम दिनों का कोयला स्टॉक शेष है।

भनोत ने शिवराज सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश में कोयले की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मध्यप्रदेश में बिजली की मांग लगभग 12,000 मेगावाट है, जो वर्तमान समय में कोयले की कमी के कारण मात्र 10 हज़ार मेगावाट से भी कम बिजली की आपूर्ति की जा रही है। लगातार बिजली आपूर्ति कम होने के कारण प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अघोषित बिजली कटौती की समस्याऐं सामने आ रही है। अघोषित बिजली कटौती के कारण इस भीषण गर्मी में जहां एक ओर आम जनजीवन पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं के आभाव में त्रस्त है, वहीं किसानों के सामने इस झुलसा देने वाली गर्मी में अपने फसल को बचाने की चुनौती है, जो बिजली के आभाव और अघोषित कटौतियों के कारण फसल की समय पर सिंचाई तक नहीं कर पा रहे है।

भनोत ने बताया कि कमलनाथ के नेतृत्व में 15 महीने की कांग्रेस सरकार के दौरान प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के प्रति संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ काम करते हुए सरकार के द्वारा 100 यूनिट का 100 रूपये बिजली बिल जैसे ऐतिहासिक फैसले लिये गये थे, साथ ही सरपल्स बिजली उत्पादन के साथ ही 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लक्ष्य को पाने का प्रयास किया जा रहा था, किंतु आलोकतांत्रिक रूप से प्रदेश की जनता के जनादेश के अपमान कर प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा के शासन में गरीब बिजली उपभोक्ताओं को अब दो हजार से दस हजार रूपये तक का मासिक बिजली बिल का भुगतान करने मजबूर किया जा रहा है। लगातार चार से दस घंटे तक की प्रतिदिन अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा प्रदेश में कोयला संकट पैदा कर प्रदेश के सरकारी बिजली संयत्रों को निजी हाथों में देने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि देश के संसाधनों पर सरकार के चंद उद्योगपति मित्रों का वर्चस्व हो, ताकि उनसे मिले चुनावी चंदे पर भाजपा की सत्तारूपी चकाचौंध बनी रहे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा सरकार आमजनता की बुनियादी सवालों और उनकी आवश्यक्ताओं पर ध्यान देने के बजाय देश के चंद उद्योगपति घरानों की कठपुतली बनी हुई है।

भनोत ने प्रदेश सरकार और ऊर्जा कंपनी के शीर्षस्थ अधिकारियों से अपील की है कि प्रदेश की विधुत संयत्रों की मांग के अनुरूप पर्याप्त कोयले की आपूर्ति को सुनिश्चित करें, ताकि प्रदेश में बिजली संकट और अघोषित बिजली कटौती जैसी समस्याओं से निपटा जा सके, अन्यथा आने वाले दिनों में बिजली कटौती से जनसमस्याऐं बढेंगी, साथ ही बडे पैमाने पर किसानों की फसल को नुकसान होने की संभावना है, जो प्रदेश हित में ठीक नहीं है।

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