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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अनशन पर बैठे स्वामी परमहंस को पुलिस ने अस्पताल में भर्ती कराया

लखनऊ-फैजाबाद : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग को लेकर आमरण-अनशन पर बैठे तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस दास को पुलिस ने जबरदस्ती हटा दिया है. इसके साथ ही अनशन खत्म हो गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से मंत्री सतीश महान स्वामी परमहंस से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने उनसे अनशन खत्म करने की गुजारिश की थी. हालांकि उन्होंने मना कर दिया था. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और स्वामी परमहंस को जबरदस्ती अनशन स्थल से हटा दिया.जिला प्रशासन का कहना है कि 7वें दिन स्वामी परमहंस दास का स्वास्थ्य खराब हो रहा था. इस वजह से स्वामी परमहंस दास को इलाज के लिए लखनऊ हायर सेंटर पीजीआई भेजा गया है. वहीं अनशन स्थल पर नाराज समर्थकों का भारी विरोध भी शुरू हो गया है. समर्थकों ने पुलिस प्रशासन पर बाबा स्वामी परमहंस दास के साथ किसी अनहोनी की आशंका जताई है. वहीं अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण भाई तोगड़िया के भी अयोध्या पहुचने की संभावना है

विश्व हिंदू परिषद् के पूर्व नेता प्रवीण तोगड़िया ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर अयोध्या में राम मंदिर बनाने के वादे को पूरा नहीं करने के आरोप लगाए. तोगड़िया ने यह कहने के लिए भागवत की आलोचना की कि ‘हिन्दू राष्ट्र का मतलब यह नहीं है कि यहां मुस्लिमों के लिए स्थान नहीं है.’ भागवत ने इस वर्ष सितम्बर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय व्याख्यान के दौरान यह बयान दिया था.

तोगड़िया ने रविवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘मैं पूछना चाहता हूं कि क्या गौ हत्यारों, लव जिहादियों, कश्मीर के पत्थरबाजों और पाकिस्तानी झंडे फहराने वालों के बिना हिंदुत्व नहीं बचेगा.’

तोगड़िया ने कहा, ‘हम 52 वर्ष पहले आरएसएस में यह जानकर शामिल हुए थे कि यह हिंदू संगठन है. लेकिन अब हमें महसूस होता है कि यह केवल मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए चिंतित है.’ विहिप के पूर्व नेता ने आरोप लगाए कि आरएसएस अयोध्या में राम मंदिर बनाने में रूचि नहीं रखता है.

उन्होंने कहा कि मंदिर बनाने की मांग करने के बजाए आरएसएस प्रमुख को प्रधानमंत्री को ‘‘आदेश’’ देना चाहिए कि सरकार संसद में कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का रास्ता साफ करे.

तोगड़िया ने कहा, ‘जब एससी/एसटी कानून की बात आती है तो मोदी कहते हैं कि मामले पर संसद निर्णय लेगी न कि अदालतें. लेकिन जब राम मंदिर बनाने की बात आती है तो मोदी पीछे हट जाते हैं और कहते हैं कि इस मुद्दे पर अदालतें निर्णय करेंगी न कि संसद.’

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